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यूक्रेन के लोग आमदर्शन समारोह में भाग लेते हुए यूक्रेन के लोग आमदर्शन समारोह में भाग लेते हुए  (ANSA)

यूक्रेन : लापता यूक्रेनी सैनिकों की तलाश में यूक्रेनी महिलाएँ

यूक्रेनी परिवारों के संघों के प्रतिनिधि, जिनमें सैन्य और नागरिक दोनों यूक्रेनी शामिल हैं—जो पिछले बुधवार, 17 सितंबर को आमदर्शन समारोह में शामिल हुए थे। आमदर्शन के अंत में, दल ने वाटिकन में यूक्रेनी राजदूत, एंड्री युराश के साथ, पोप लियो से एक संक्षिप्त बातचीत की।

वाटिकन न्यूज

"मैं हर दिन उसकी तलाश करती हूँ और उम्मीद करती हूँ कि मैं उसे ढूँढ लूँगी," मरिया कहती हैं, जो अप्रैल 2022 में मोर्चे पर लापता हुए सैन्य डॉक्टर ह्रीहोरी की माँ हैं। वे गैर-सरकारी संगठन "मिलिट्री डॉक्टर्स" से जुड़ी हैं, जो रूसी सेना द्वारा बंदी बनाए गए या लापता हुए डॉक्टरों के परिवारों को एकजुट करता है। मरिया बारह यूक्रेनी महिलाओं के एक प्रतिनिधिमंडल की हिस्सा हैं—गैर-सरकारी संगठनों और लापता व्यक्तियों तथा कैदियों के परिवारों के संघों की प्रतिनिधि, जिनमें सैन्य और नागरिक दोनों यूक्रेनी शामिल हैं—जो पिछले बुधवार, 17 सितंबर को आमदर्शन समारोह में शामिल हुए थे। आमदर्शन के अंत में, दल ने वाटिकन में यूक्रेनी राजदूत, एंड्री युराश के साथ, पोप लियो से एक संक्षिप्त बातचीत की।

मरिया ने बताया, "यह पहली बार था जब मैंने पोप को इतने करीब से देखा। हम सब यहाँ बड़ी उम्मीद लेकर आए थे।" दिवंगत डॉक्टर की माँ के लिए, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में अन्य यूक्रेनी विश्वासियों से मिलना एक बड़ा आश्चर्य था, जो विभिन्न देशों से तीर्थयात्रा पर आए थे। "पुरोहितों के एक दल ने पोप के नाम दिवस पर उन्हें शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने हमारा झंडा ऊँचा किया। फिर आयरलैंड में रहनेवाले यूक्रेनी लोग आए। उन्होंने हम सभी को गले लगाया। यह बहुत खूबसूरत था। यह एक ऐसा एहसास है जिसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती। उन्होंने हमें अपने प्यार से घेर लिया। हम यह सब हमेशा याद रखेंगे। और हमें उम्मीद है कि इससे हमारे प्रियजनों को घर वापस लाने में मदद मिलेगी।"

गर्मजोशी और समर्थन के ये पल मरिया और उन अन्य माताओं, पत्नियों और परिवार के सदस्यों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं जो हर दिन अपने प्रियजनों की तलाश में रहते हैं। वे एक-दूसरे का साथ देते और इस भयानक त्रासदी के बारे में लोगों में जागरूकता लाते हैं। "मिलिट्री डॉक्टर्स" की सदस्य मरिया कहती हैं, "हमारे संयुक्त प्रयासों की बदौलत, हम अपने कई बंदी डॉक्टरों को घर वापस लाने में कामयाब रहे।" "दुर्भाग्य से, एक मामला ऐसा भी आया जब एक डॉक्टर, जिसे अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस ने बंदी घोषित किया था, मृत अवस्था में घर लाया गया। हम सभी जानते हैं कि डॉक्टर लड़ाके नहीं होते। वे घायल सैनिकों की जान बचाने की कोशिश करते हैं: वे उन्हें युद्ध के मैदान से लाते हैं और जरूरी प्राथमिक उपचार प्रदान करते हैं। दुर्भाग्य से, वे भी अक्सर मोर्चे पर ही शहीद हो जाते हैं। हमारा संगठन मृत, बंदी और लापता डॉक्टरों की संख्या के साथ-साथ यूक्रेन में चिकित्सा सुविधाओं पर हुए हमलों की संख्या की जानकारी भी इकट्ठा करता है।"

2025 में, यूक्रेन के स्वास्थ्य मंत्री विक्टर ल्याश्को ने बताया कि यूक्रेन पर बड़े पैमाने पर आक्रमण शुरू होने के बाद से 510 डॉक्टर मारे गए हैं। 19 अगस्त, 2024 को, अंतर्राष्ट्रीय मानवता दिवस पर, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि यूक्रेन स्थित उसके कार्यालय ने संघर्ष शुरू होने के बाद से स्वास्थ्य सेवाओं पर 1,940 रूसी हमले दर्ज किए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट पर कहा गया है, "यह अब तक किसी भी वैश्विक मानवीय आपात स्थिति में डब्लू एच ओ द्वारा दर्ज की गई सबसे बड़ी संख्या है।"

मारिया आगे कहती हैं, "बचपन से ही ह्रीहोरी डॉक्टर बनने का सपना देखता था। उसने शुरु में कीव मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई की, फिर बोगोमोलेट्स नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की। यूनिवर्सिटी में, उसने आपातकालीन कक्षों और पुनर्वास केंद्रों में काम किया। बड़े पैमाने पर हुए आक्रमण के पहले दिन, वह सैन्य कमिश्नरी गया और मुझसे कहा, 'मैं चुपचाप खड़ा होकर नहीं देख सकता। मैं छिपूँगा नहीं।' और वह चला गया। पहले उसे सूमी क्षेत्र की सीमा पर रखा गया, फिर उन्हें बखमुट क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया गया। वहाँ हमारा उनसे संपर्क टूट गया। अगस्त में वह 31 साल का हो गया। मुझे उम्मीद है कि मैं उसे ढूंढ लूँगी, उसे ज़िंदा और स्वस्थ वापस लाऊँगी, और हम अपने सभी बच्चों को वापस लाएँगे।"

लिलिया "निंदा किए गए लेकिन भुलाए नहीं गए" संगठन का प्रतिनिधित्व करती हैं और युद्धबंदी वोलोदिमिर की माँ हैं। वे कहती हैं, "वह एक समुद्री सैनिक हैं। युद्ध की शुरुआत में, वह मारियुपोल शहर में हमारे देश की रक्षा के लिए लड़ रहे थे, जहाँ भीषण लड़ाई हुई थी, और अप्रैल 2022 में उन्हें बंदी बना लिया गया। दुर्भाग्य से, वे अभी भी कैदी हैं। और सिर्फ़ एक कैदी ही नहीं: रूसी संघ ने उनकी निंदा की है।" वे इस बात पर जोर देती हैं कि युद्धबंदियों को सजा सुनाना अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून, खासकर जिनेवा सम्मेलन का गंभीर उल्लंघन है। लिलिया कहती हैं, "मैंने पोप के साथ आमदर्शन में भी भाग लिया था, उम्मीद है कि दुनिया हमारा दर्द देख और महसूस कर सकेगी।" "मैं लगभग तीन साल से इटली में रह रही हूँ। हम अपने सबसे छोटे बेटे के साथ शरणार्थी के रूप में यहाँ आए थे। यहाँ से, मैं यूक्रेनी कैदियों के परिवारों की मदद करने और इस मुद्दे को पूरी दुनिया के ध्यान में लाने की कोशिश करती हूँ, ताकि सभी को पता चले कि हम सिर्फ संख्या और आँकड़े नहीं हैं।"

वोलोदिमीर 25 सितंबर को 30 साल के हो जाएँगे। उनकी पत्नी और 9 साल की बेटी घर पर उनका इंतज़ार कर रही हैं। उनकी माँ, लीलिया, कहती हैं कि उनका उनसे कोई संपर्क नहीं है: रूसी पक्ष इसकी इजाजत नहीं देता। उनके पास जो भी जानकारी है, वह उन्हें दूसरे लौटनेवाले युद्धबंदियों से मिली है। "हम सब इंतजार कर रहे हैं, काम कर रहे हैं, उम्मीदें पाल रहे हैं। इसीलिए हम पोप के पास आए हैं। हमें उम्मीद है कि ईश्वर हमारी सुनेंगे, देर-सवेर न्याय होगा और हमारे बच्चे घर लौटेंगे।" लीलिया को निराशा से बचने में जो बात मदद करती है, वह यह एहसास है कि वह सिर्फ अपने बेटे के लिए ही नहीं, "बल्कि सबके लिए, अंतिम तक" लड़ रही हैं। "मेरे सारे विचार लगातार इसी में उलझे रहते हैं," वह कहती हैं, "यह एक और काम की तरह है, यह मेरी ज़िंदगी है। मैं इसी विचार के साथ सोती और जागती हूँ।"

ओलेना के पति, जो संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में आमदर्शन समारोह में उपस्थित थे, एक साल पहले कैद से लौटे हैं। फिर भी, वह उन परिवारों की मदद करती रहती हैं जो अभी भी अपने प्रियजनों का इंतज़ार कर रहे हैं। यह युवती एडमेंट एसोसिएशन ऑफ़ सिविलियन ऑर्गनाइज़ेशन्स का प्रतिनिधित्व करती है, जो छह हजार से ज्यादा सदस्यों वाले कई संगठनों को एक साथ लाता है। वह बताती हैं, "जब मैं अपने पति को घर लाई, तो मैंने दूसरे परिवारों से वादा किया था कि मैं उन्हें अकेला नहीं छोड़ूँगी, उनके साथ रहूँगी, उनका हौसला बढ़ाऊँगी। मैं चाहती हूँ कि वे भी वही खुशी महसूस करें जो मैंने महसूस की थी, अपने प्रियजनों को फिर से गले लगाने में सक्षम हों।" ओलेना बताती हैं कि उनका संघ रूसी कैद से लौटने के बाद भी यूक्रेनी सैनिकों को सहायता प्रदान करता है, उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को ठीक करने में मदद करता है। वह कहती हैं, "हम उन्हें बताते हैं कि किन सुविधाओं का सहारा लेना है, हम उनका हौसला बढ़ाने की कोशिश करते हैं, और अपनी उपस्थिति से उनका साथ देते हैं।" "जब लड़के वापस आते हैं, तो वे कहते हैं, 'हमें नहीं लगता था कि तुम यहाँ हमारे लिए इतनी मेहनत करोगे। हमें लगा था कि वापस आने पर हमें समझ नहीं आएगा कि क्या करना है।'" जब वे घर लौटते हैं, तो उनकी त्वचा धूसर हो जाती है और वे बहुत दुबले-पतले हो जाते हैं: उनका वज़न कैद से पहले की तुलना में दो-तीन गुना कम हो जाता है। जब मेरे पति वापस आए, तो मैं उन्हें पहचान भी नहीं पाई। मैंने उन्हें सिर्फ उनकी आँखों से पहचाना। पहले उनका वज़न लगभग 100 किलो था, जबकि वापस आने पर उनका वज़न लगभग 60 किलो हो गया था; वे 20 साल के नौजवान जैसे दिखते थे। अब, अपने पति के अनुभव की बदौलत, मैं कैद से लौटने के बाद सैनिकों के पुनर्वास पर काम करती हूँ।"

इन महिलाओं से बातचीत के दौरान, हम न सिर्फ उनकी मजबूती और दृढ़ संकल्प से, बल्कि उनकी नजाकत और मुस्कुराहट से भी प्रभावित हुए, जिसने इस बात की गवाही दी कि गहरे दर्द और चिंता के बावजूद जिंदगी चलती रहती है। ओलेना कहती हैं, "हम जो कुछ भी झेल रहे हैं, वह हमारे लचीलेपन की एक बहुत ही कठिन परीक्षा है। हम उन सभी के आभारी हैं जो हमारा साथ देते हैं। हमारे लिए यह जरूरी है कि लोग जानें कि हम संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन हम नहीं चाहेंगे कि किसी और को भी यही सब सहना पड़े। हम चाहते हैं कि आप शांति और खुशी से रहें।"

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23 सितंबर 2025, 17:12