बर्लिन में प्राणदण्ड के विरुद्ध प्रदर्शन, 10.10.2025 बर्लिन में प्राणदण्ड के विरुद्ध प्रदर्शन, 10.10.2025  (ANSA)

परमधर्मपीठ ने किया प्राणदण्ड की समाप्ति का फिर से आह्वान

परमधर्मपीठ ने मृत्युदंड के सार्वभौमिक उन्मूलन का आह्वान कर कहा है कि गर्भधारण से लेकर प्राकृतिक मृत्यु तक प्रत्येक मानव व्यक्ति की ईश्वर प्रदत्त अप्रतिद्वंद्वी गरिमा अपरिवर्तनीय है।

वाटिकन सिटी

वॉरसो, शनिवार, 11 अक्टूबर 2025 (रेई, वाटिकन रेडियो): परमधर्मपीठ ने मृत्युदंड के सार्वभौमिक उन्मूलन का आह्वान कर कहा है कि गर्भधारण से लेकर प्राकृतिक मृत्यु तक प्रत्येक मानव व्यक्ति की ईश्वर प्रदत्त अप्रतिद्वंद्वी गरिमा अपरिवर्तनीय है।

वॉरसो में मानव आयाम सम्बन्धी सम्मेलन में कानून के शासन पर पूर्णकालिक सत्र के दौरान के परमधर्मपीठ ने प्रत्येक मानव व्यक्ति की अविभाज्य गरिमा की रक्षा के लिए अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि की।

मानवीय गरिमा की ख़ातिर सत्य

यूरोप में सुरक्षा एवं सहयोग संगठन (ओशे) में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक के उप-प्रमुख, मान्यवर  लुकास माराबेसे ने सम्मेलन में एक वक्तव्य जारी कर इस बात पर ज़ोर दिया कि ईश्वर द्वारा प्रदत्त मानवीय गरिमा, गर्भाधान से लेकर प्राकृतिक मृत्यु तक अक्षुण है। उन्होंने किसी भी प्रकार के अंग-भंग, शरीर या मन पर की जाने वाली यातनाओं और स्वयं इच्छाशक्ति पर दबाव डालने के प्रयासों की भी निंदा की।

परमधर्मपीठीय प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष मान्यवर माराबेसे ने यातना और सभी प्रकार के अमानवीय व्यवहार के प्रति कलीसिया की निरंतर अस्वीकृति को दोहराया, और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार नियमों का हवाला दिया जो यातना के पूर्ण बहिष्कार को एक अपरिहार्य सिद्धांत के रूप में संरक्षित करते हैं।

उन्होंने कहा कि आपराधिक दायित्व स्थापित करने के लिए सौंपी गई संस्थाओं को पूरी लगन से सत्य का अनुसरण करना चाहिए, साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी कार्यवाही मानव व्यक्ति की गरिमा और अधिकारों के पूर्ण सम्मान के साथ संचालित हो। साथ ही आपराधिक जाँच में न्यायसंगत और मानवीय प्रक्रियाओं की आवश्यकता पर भी उन्होंने बल दिया।

सर्वजन हित की रक्षा

मृत्युदंड के मुद्दे पर बोलते हुए, परमधर्मपीठ के प्रतिनिधि ने इसके ऐतिहासिक संदर्भ को याद किया, लेकिन मानवीय गरिमा के साथ इसकी असंगति में बढ़ती वैश्विक मान्यता पर भी चिन्ता व्यक्त की।

उन्होंने इस बढ़ती जागरूकता पर ध्यान दिया कि गंभीर अपराधों के दोषी भी अपनी अंतर्निहित गरिमा नहीं खोते, साथ ही ऐसी दंड व्यवस्थाओं का विकास हो रहा है जो अपराधियों को मुक्ति की संभावना से वंचित किए बिना समाज की रक्षा करती हैं।

उन्होंने कहा, "इस बात को ध्यान में रखते हुए, परमधर्मपीठ मृत्युदंड को बहिष्कृत मानती है क्योंकि यह व्यक्ति की पवित्रता और गरिमा पर हमला है और इसीलिए, परमधर्मपीठ दुनिया भर में प्राणदण्ड के उन्मूलन हेतु दृढ़ संकल्प के साथ दबाव बनाना जारी रखेगी।"

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11 अक्तूबर 2025, 12:48