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कार्डिनल मरच्चेलो सेमेराओ कार्डिनल मरच्चेलो सेमेराओ   (VATICAN MEDIA Divisione Foto)

कार्डिनल मरच्चेलोः संत कार्लो अकुतिस मरियम भक्त

संत कार्लो अकुतिस और पियेर फ्रासाती, कलीसिया में नये संतों की घोषणा उपरांत सोमवार को उनके नाम धन्यवादी ख्रीस्तयाग अर्पित किया गया।

वाटिकन सिटी

कार्डिनल मरच्चेलो सेमेराओ ने कार्लो अकुतीस के संत घोषणा के उपरांत सोमवार 08 सितम्बर को धन्यवादी ख्रीस्तीय अर्पित करते हुए कहा कि वे एक मरियम भक्त युवा थे।  

माता मरियम के जन्म पर्व के दिन, संत अकुतीस के नाम धन्यवादी ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए कार्डिनल मरच्चेलो ने अपने प्रवचन में कहा कि यह हमारे लिए एक अति महत्वपूर्ण और अतुलनीय दिन है क्योंकि यह हमारे लिए मुक्तिदाता ईशपुत्र की माता की याद दिलाती है जिसे वे इस दुनिया में लाती है। यह “एक अद्वितीय और अतुलनीय क्षण है क्योंकि यह मानवजाति के इतिहास में देहधारण और मुक्ति के रहस्य में प्रवेश का पूर्वाभास देता है।”

एक बड़ी घटना

संत पापा योहन पौल द्वितीय के उन वचनों की याद करते हुए कार्डिनल मरच्चेलो ने कहा कि यह न केवल एक आनंदमय घटना है, जैसा कि प्रत्येक परिवार में एक नए प्राणी का जन्म होता है, बल्कि यह मानव इतिहास में एक ऐसी घटना है जिसकी पुनरावृत्ति नहीं हो सकती, क्योंकि यह देहधारण के रहस्य से सीधे जुड़ी हुई है। “मरियम अन्य पवित्र महिलाओं में से केवल एक नहीं हैं: बल्कि वे ईशमाता हैं जिन्होंने ईश्वर के पुत्र को मानव के रुप में जन्म दिया।”

कार्डिनल ने कहा कि इस भांति उनके जन्म का उत्सव मनाने का अर्थ है ईश्वर की योजना को अपनाना, जो हमें ईश्वर के पुत्र के आने की तैयारी में कदम दर कदम आगे ले चलता है। इसका अर्थ सौम्यता और धैर्य में, छोटी घटनाओं से शुरुआत करते हुए एक सार्वभौमिक कार्य को पूरा करना है। उन्होंने कहा कि यह हमें हमारे जीवन में ईश्वर के प्रवेश को दिखलाती है- वे विवेकपूर्ण ढंग से, सरलता और बिना किसी दिखावे के हमारे बीच में आते हैं। “वे धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करना जानते हैं; वे हमें नाटकीय घटनाओं से विवश नहीं करते, बल्कि चुपचाप अपने कार्यों को करते हैं। उन्होंने वैसे ही संत कार्लो अकुतिस के जीवन में भी प्रवेश किया, जिन्हें हमने कल संत की सूची में सम्मिलित किया जिसके लिए आज हम ईश्वर को धन्यवाद देते हैं।

एक तैयारी की घटना, आशा और नम्रता का मिश्रण

मरियम के जन्म पर्व पर चिंतन करते हुए कार्डिलन मरच्चेलो ने कहा कि यह कोई अचानक घटित होने वाली अचानक घटना नहीं है, बल्कि ईश के पुत्र का दुनिया में आने की तैयारी की एक लम्बी घटना है। “यह भोर की पहली किरण के समान है: जो हमें मरियम के रहस्य में प्रवेश करने में मदद करती है।” उन्होंने कहा कि भोर हमारे लिए आशा को व्यक्त करती है, जिसे संत पापा फ्रांसिस ने इस वर्ष जंयती की विषयवस्तु के रुप में घोषित किया है, जिसे हम मरियम में पाते हैं। “आशा” अपने में एक दूसरे गुणा “नम्रता” को वहन करती है जिसे संत बेर्नाड, माता मरियम के अनन्य भक्त ने घोषित करते हुए कहा, “भोर हमें नम्रता को चिन्ह करता है, जैसे कि यह अधंकार को दूर कर ज्योति लाता है उसी भांति नम्रता हमारे आध्यात्मिक जीवन की आधारभूत शिला है।” वे कहते हैं कि नम्रता के बिना विश्वास की एक सच्ची यात्रा शुरू नहीं हो सकती है, न ही हम आध्यात्मिकता में विकास कर सकते हैं। “नम्रता के बिना हम पवित्रता की कल्पना नहीं कर सकते हैं।”

कार्डिनल ने कहा कि नम्रता मरियम का एक विशिष्ट गुण जिसे हम उनके ईशभजन में पाते हैं। “मेरी आत्मा प्रभु में आनंद मनाती है... क्योंकि उसने अपनी दीन दासी पर कृपादृष्टि की है।” संत लूका. 1.47-48)।

अकुतिस मरियम भक्त

संत अकुतिस के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कार्डिनल मरच्चेलो ने कहा कि वे मरिया भक्ति कारण वे प्रतिदिन रोज विन्ती करते थे, वे उन्हें “अपने जीवन में एकमात्र नारी” के रुप में देखते थे। अपनी इस भक्ति के कारण वे मरियम तीर्थस्थलों की भेंट की चाह रखते थे। नम्रता के इस गुण को हम संत अकुतिस के जीवन में भी पाते हैं जिसका अभ्यास उन्होंने अपने जीवन में करते हुए उसका साक्ष्य अपने मित्रों के लिए दिया। नम्रता के अपने इस गुण के कारण वे गरीबों सबसे कमजोर और जरूरतमंदों के पास पहुंचते थे।

मरियम मार्गदर्शिका

अपने प्रवचन के अंत में कार्डिनल ने कहा कि जब मैं संतों की बात करता हूँ, तो मैं अक्सर उनकी तुलना आकाश में स्थित नक्षत्रों से करता हूँ, जो नाविक का मार्गदर्शन करते हैं। मरियम हमारे लिए “समुद्र के तारे” की भांति है, वे हमें जीवन में आगे बढ़ने को मदद करती और हमें अपने बेटे येसु की ओर ले चलती है।

संतगण कलीसिया के आकाश में चमकते तारे हैं जिनकी ओर देखने का निमंत्रण हमें संत पापा लियो देते हैं। आज हम संत कार्लो अकुतिस और फ्रासाती की ओर देखें। “संत पियर जियोर्जियो फ्रासाती और कार्लो अकुतिस हम सभी के लिए, विशेषकर युवाओं के लिए, एक निमंत्रण हैं, वे हमें अपना जीवन व्यर्थ नहीं गंवाने को कहते हैं, बल्कि उसे ऊपर की ओर निर्देशित करने को कहते हैं जहाँ हम ईश्वर की सर्वश्रेष्ट कृति बनते हैं। कार्डिनल ने नये संतों की दो मुख्य बातों पर प्रकाश डालते हुए कहा, कार्लो कहते थे, “मैं नहीं, बल्कि ईश्वर।” वहीं संत फ्रासाती कहते हैं, यदि आपके कार्यों के केंद्र में ईश्वर हैं, तो आप उनके मुकाम तक पहुँच जाएँगे।” यह उनकी पवित्रता का सरल किन्तु विजयी सूत्र है। ये वे साक्ष्य हैं जिसका अनुसरण करने के लिए हम भी बुलाये जाते हैं,जिससे हम जीवन का भरपूर आनंद उठा सकें और स्वर्ग के उत्सव में प्रभु से मिल सकें।”

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08 सितंबर 2025, 16:26