निर्धनों के पक्ष में आयोजित संगीत समारोह के कलाकारों को सम्बोधन
वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 5 दिसम्बर 2025 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन में शुक्रवार को सन्त पापा लियो 14 वें ने निर्धनों के पक्ष में आयोजित संगीत समारोह के कलाकारों को सम्बोधित कर मनुष्य के प्रति ईश्वर के असीम प्रेम का स्मरण दिलाया।
खूबसूरत परम्परा
सन्त पापा ने कहा कि सन्त पापा फ्राँसिस द्वारा आरम्भ निर्धनों के पक्ष में संगीत समारोह का यह छटा वर्ष है जो कि एक खूबसूरत परम्परा के रूप में परिणत हो रहा है तथा क्रिसमस की तैयारी का हिस्सा बन गया है।
सन्त पापा ने कहा कि देहधारी शब्द का आगमन उस प्रेम की प्रकाशना है जो पिता ईश्वर हममें से प्रत्येक के प्रति रखते हैं। सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के प्रथम विश्व पत्र का उल्लेख कर उन्होंने कहाः "येसु मसीह में ईश्वर खुद 'खोई हुई भेड़ों', दुख झेल रही और खोई हुई मानवता को ढूंढते हैं। ईश्वर स्वयं मानव पुत्र बनकर स्वतः को मानवीय माता-पिता की देखभाल के सिपुर्द करते तथा हम सब के लिये उस दिव्य प्रेम के प्रतीक बनते हैं जो हमें बचाने आते हैं।"
ईश्वर दया हैं, ईश्वर प्यार हैं
सन्त पापा ने कहा जैसा कि सन्त योहन रचित सुसमचार में हम पढ़ते हैं यह कह पाना कितना खूबसूरत है: ईश्वर दया हैं, ईश्वर प्यार हैं! उनकी ओर देखकर, हम वैसा ही प्यार करना सीख सकते हैं जैसा उन्होंने हमसे किया; हम यह जान सकते हैं कि प्यार का नियम हमारी सबसे वास्तविक ज़रूरतों को पूरा करता है, क्योंकि जब हम प्यार करते हैं, तभी हम सही मायने में खुद का एहसास पा सकते हैं।
संगीत की भूमिका
सन्त पापा ने कहा कि निर्धनों के लिये संगीत समारोह प्रतिभाशाली और निपुण कलाकारों का कोई साधारण म्यूज़िकल इवेंट नहीं है, चाहे वह कितना भी सुंदर क्यों न हो, और न ही यह समाज के अन्याय के सामने अपनी अंतरात्मा को शांत करने के लिए एकजुटता का पल है। उन्होंने कहा, "मैं चाहता हूँ कि हम इस संगीत समारोह में हिस्सा लेकर वे प्रभु के ये शब्द याद रखें: "जो कुछ तुमने मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के लिए किया, वह तुमने मेरे लिए किया।" अस्तु, यदि हम सचमुच में भूखे-प्यासे, नंगे, बीमार, अजनबी या कैदी से प्यार करते हैं, तो हम प्रभु से प्यार कर रहे हैं।"
सन्त पापा ने कहा, "स्त्री-पुरुषों की प्रतिष्ठा उनके पास मौजूद चीज़ों से नहीं मापी जाती: हम अपनी चीज़ें और सामान नहीं हैं, बल्कि ईश्वर की प्यारी सन्तान हैं; और यही प्यार दूसरों के प्रति हमारे कामों की पहचान होनी चाहिए।" इसी वजह से, उन्होंने कहा, "हमारे संगीत समारोह में हमारे सबसे कमज़ोर भाई-बहन आगे की सीटों पर बैठते हैं।"
संगीत ईश्वर का कीमती तोहफ़ा
सन्त पापा ने कहा, "ख्रीस्तीय अनुभव में संगीत ने हमेशा एक अहम भूमिका निभाई है। खास तौर पर धर्मविधि में गाना कभी भी "ध्वनि पट्टी" या सिर्फ़ पृष्ठभूमि का संगीत नहीं होता, बल्कि इसका मकसद आत्मा को ऊपर उठाना और ईश्वर के रहस्य के जितना हो सके करीब लाना होता है। संत ऑगस्टीन ने, खास तौर पर प्रार्थना में गाने के बारे में बात करते हुए, अपनी 'भजन संहिता पर टिप्पणी' में लिखा: "तुम्हें ईश्वर के लिए गाना चाहिए, लेकिन सुर से बाहर नहीं। वे नहीं चाहते कि उसके कान नाराज़ हों। मेरे भाइयों, कला से गाओ।" संगीत में देखभाल, समर्पण, कला और आखिर में उनसे मिलने वाला तालमेल ज़रूरी है: यह वास्तव में एक कीमती तोहफ़ा है जिसे ईश्वर ने समस्त मानवजाति के सिपुर्द किया है।"
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here
