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संत पापा लियो बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा लियो बुधवारीय आमदर्शन समारोह में  (ANSA)

संत पापाः मानव में ईश्वर से मिलन की बेचैनी है

संत पापा ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह की धर्मशिक्षा माला में मानव में व्याप्त बेचैनी का कारण स्पष्ट किया।

वाटिकन सिटी

संत पापा लियो ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों सुप्रभात और सुस्वागतम्।

गतिशीलता मानव जीवन की एक विशेषता है जहाँ हम उसे कुछ करने, कार्य करने को प्रेरित पाते हैं। वर्तमान समय में हम हर क्षेत्र में तीव्रता को पाते हैं जिसका उद्देश्य जीवन के हर क्षेत्र में सफलता की चाह से है। इस संदर्भ में, “येसु का पुनरूत्थान कैसे हमारे अनुभव पर प्रकाश डालता है? जब हम उनकी मृत्यु पर उनके संग विजय में सहभागी होंगे तो क्या हम आराम करेंगे? विश्वास हमें बतलाता है- हाँ, हम विश्राम करेंगे।” हम अपने में क्रियाशील नहीं होंगे, लेकिन हम ईश्वर के निवास स्थल में प्रवेश करेंगे जहाँ शांति और खुशी है। अतः, क्या हमें इसकी प्रतीक्षा करनी चाहिए या हमें अभी इसमें परिवर्तन लाना चाहिए?

संत पापा की धर्मशिक्षा
संत पापा की धर्मशिक्षा   (AFP or licensors)

मानव की बेचैनी

संत पापा लियो ने कहा कि हम अपने को विभिन्न क्रियाकलापों में डूबा पाते हैं जो हमें सदैव संतुष्टि प्रदान नहीं करते हैं। हमारे बहुत से कार्य में हम व्यावहारिकता को पाते हैं जो ठोस चीजों को करने से होता है। हम अपने को विभिन्न कार्यों के लिए निष्ठामय रुप में देते हैं, हम समस्याओं का समाधान करते हुए कठिनाइयों का सामना करते हैं। येसु ख्रीस्त भी अपने को लोगों के जीवन सम्मिलत किया, उनके पास अपने लिए समय नहीं था बल्कि उन्होंने अपने को जीवन के अंतिम क्षणों तक समर्पित कर दिया। यद्यपि, हम बहुत बार इस बात का अनुभव करते हैं कि अधिक कार्य करना हमें परिपूर्ण के भाव जागृत करने के बदले, एक ऐसा बवंडर उत्पन्न करता है जो हम पर हावी हो जाता है, यह हमारी शांति छीन लेता, और हमें उन चीज़ों को पूरी तरह से जीने से रोकता है जो सही अर्थ में हमारे जीवन में  महत्वपूर्ण हैं। ऐसी स्थिति में हम अपने में थकान और असंतोष का अनुभव करते हैं, हमें ऐसा लगता है कि हमने हजारों व्यवहारिक चीजों में अपना समय बर्बाद किया, जो किसी भी रुप में हमारे जीवन के अस्तित्व के अर्थ को पूरा नहीं करते हैं। कभी-कभी दिनचर्या भरे कार्यों के अंत में भी हम अपने में खालीपन का अनुभव करते हैं। क्यों? क्योंकि हम मशीन नहीं हें, हमारा एक “हृदय” है वास्तव में हम कह सकते हैं कि हम एक हृदय हैं।

हमारी पूंजी कहाँ है?

संत पापा ने कहा कि हमारा हृदय हमारी सारी मानवता की निशानी है, हमारे विचार, अनुभव और इच्छाएं, हमारे जीवन के अदृश्य क्रेन्दबिन्दु हैं। सुसमाचार लेखक संत मत्ती हमें अपने हृदय की महत्वपूर्णतः पर विचार करने को निमंत्रण देते हैं, जिसे हम येसु के शब्दों में पाते हैं, “क्योंकि जहाँ तुम्हारी पुंजी है, वहीं तुम्हारा हृदय भी होगा।” (मत्ती.6.21)

इस भांति हम हृदय में सच्चे खजाने को पाते हैं न कि भौतिक सुरक्षा की चीजों में, न ही अकूत धन के निवेश में जो पहले की अपेक्षा आज हमारे नियंत्रण से बाहर है और लाखों मानव जीवन की खूनी कीमत और ईश्वर की सृष्टि की तबाही पर अन्यायपूर्ण रूप से केंद्रित है।

संत पापा आमदर्शन समारोह में
संत पापा आमदर्शन समारोह में   (ANSA)

मानव जीवन का सार

संत पापा ने कहा कि हमारे लिए इन चीजों पर चिंतन करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम अपने असंख्य समर्पित कार्यों की निरंतरता में, एक भारी निराशा, कभी-कभी हताशी, निरर्थकता का अनुभव करते हैं जो कि सफल व्यक्तियों को भी प्रभावित करता है। इसके बदले, पास्का के उजाले में अपने जीवन को परिभाषित करना, इसे पुनर्जीवित येसु के संग देखना, अपने मानवीय जीवन के सार की खोज करना है.....इस क्रिया विशेषण “बेचैनी” से संत अगुस्टीन हमें इस बात को समझने में मदद करते हैं कि मानव अपने में पूर्णतः की खोज हेतु बेचैन है। हम इस पूरे वाक्य को कोन्फेशन के शुरू में पाते हैं, जहाँ संत अगुस्टीन लिखते हैं, “प्रभु, तूने मुझे अपने लिए बनाया है, और हमारे हृदय तब तक बेचैन हैं जब तब वे तूझ पर आराम नहीं करते हैं।”

"अपने घर की ओर लौटना"

बेचैनी एक निशानी है कि हमारा हृदय अनयास ही, एक अव्यवस्थित रुप में, बिना किसी उद्देश्य या एक दिशा के विचलित नहीं होता है, बल्कि यह अपने में एक निश्चित दिशा की ओर “अपने घर की ओर लौटता” है। हमारे हृदय का सच्चा मिलन दुनिया की चीजों को अपने में धारण करने में नहीं बल्कि उस चीज की प्राप्ति में पूर्णता प्राप्त करती है जो उसे भरता है अर्थात ईश्वर के प्रेम को, बल्कि ईश्वर की प्राप्ति में जो प्रेम हैं। यह निधि,यद्यपि केवल अपने पड़ोसियों को प्रेम करने में पाई जाती है जो हमारे मार्ग में आते हैं- वे भाई-बहनें जो हमारी तरह ही हाड़-माँस के हैं, जिनकी उपस्थित हमारे हृदय को खोलने और अपने को देने हेतु उद्वेलित करती और हममें सवालों को उत्पन्न करती है। हमारे पड़ोसी हमें धीरे चलने को कहते हैं, अपनी आंखों में देखने को कहते और कभी-कभी हमारी योजना को बदलने को कहते हैं शायद अपनी दिशा बदलने  को भी।

संत पापाः मानव की बेचैनी का कारण

प्रिय मित्रों, संत पापा लियो ने कहा कि मानव के हृदय की गतिशीलता का रहस्य उसका अपने उद्गम स्थल की ओर लौटकर आना है, उस आनंद में जो हमें कभी हताश, और निराश नहीं करती है। कोई भी मानव अर्थहीन जीवन नहीं जीता जो अचानक आने वाली चीज़ों से उसे परे ले जाती हो। इंसान का दिल आशा के बिना नहीं जी सकता, यह जाने बिना कि वह पूर्णतः के लिए बना है, कमी में रहने के लिए नहीं।

संत पापा का आशीर्वाद
संत पापा का आशीर्वाद

येसु में निराशा नहीं

येसु ख्रीस्त ने हमें अपने शरीरधारण, दुःखभोग और पुनरूत्थान के द्वारा आशा की एक ठोस नींव प्रदान की है। संत पापा ने कहा कि बेचैन हृदय अपने में निराश नहीं होता है, यदि वह प्रेम के आयाम में प्रवेश करता है जिसके लिए वह बनाया गया है। लक्ष्य हमारे लिए निश्चित है, हमारे जीवन में जीत है और यह जीत येसु ख्रीस्त में निरंतर होती है जहाँ हम अपने दैनिक जीवन के हर मोड़ में मृत्यु से हो कर गुजरते हैं। यह ख्रीस्त आशा है, आइए हम ईश्वर का सदैव धन्यवाद करते हुए उन्हें धन्य कहें जिन्होंने उन्हें हमें दिया है।

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17 दिसंबर 2025, 12:09