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लोकप्रिय आंदोलनों की पांचवीं विश्व बैठक के प्रतिभागियों से मुलाकात करते हुए पोप लियो 14वें लोकप्रिय आंदोलनों की पांचवीं विश्व बैठक के प्रतिभागियों से मुलाकात करते हुए पोप लियो 14वें  (ANSA)

पोप: लोकप्रिय आंदोलनों को समाज की उदासीनता से उत्पन्न शून्य को भरना होगा

पोप लियो 14वें ने लोकप्रिय आंदोलनों की पांचवीं विश्व बैठक में प्रतिभागियों से मुलाकात की और अमानवीय सामाजिक संरचनाओं की आलोचना की जो मृत्यु और अत्यधिक असमानता को जन्म देती हैं।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 24 अक्तूबर 2025 (रेई) : पोप लियो 14वें ने बृहस्पतिवार को पोप लियो 13वें का अनुसरण किया, जब उन्होंने पाँचवीं विश्व लोकप्रिय आंदोलन की बैठक में भाग लेनेवालों से मुलाकात की।

अपने संबोधन में, पोप ने दुनियाभर के समाजों पर पड़नेवाले अन्याय पर विस्तार से विचार किया और कलीसिया के पहले सामाजिक विश्वपत्र "रेरूम नोवारूम" में उनके द्वारा प्रस्तुत "नई बातों" को नए सिरे से परिभाषित किया।

हालांकि 19वीं सदी के उत्तरार्ध में ऊर्जा के नए स्रोतों और औद्योगिक तकनीकों के माध्यम से तेज़ी से विकास हुआ, पोप लियो 14वें ने कहा कि पोप लियो 13वें ने अपना ध्यान "उस समय के गरीबों और उत्पीड़ितों की स्थिति" पर केंद्रित किया।

पोप ने कहा कि उनके पूर्ववर्ती ने गरीबों का पक्ष लिया और "बहुसंख्यकों को अपेक्षाकृत कम लोगों की शक्ति के अधीन" करने की निंदा की, जो कि "गुलामी से थोड़ा बेहतर" था।

पोप लियो 14वें ने कहा कि जन आंदोलन समाज के हाशिये से उठकर न्याय की तलाश करते हैं और अन्यायपूर्ण व्यवस्थाओं के अधीन लोगों के लिए समाधान खोजते हैं।

उन्होंने कहा, "मैं सबसे महत्वपूर्ण बात यह मानता हूँ कि आपकी सेवा प्रेम से प्रेरित हो।" "मैं अन्य देशों में मौजूद ऐसी ही वास्तविकताओं और अनुभवों को जानता हूँ, जहाँ विश्वास, आशा और विशेष रूप से प्रेम से भरे सच्चे सामुदायिक स्थान हैं, जो सभी का सबसे बड़ा गुण है।"

पोप ने आगे कहा, "गरीबों के लिए गरीब कलीसिया" को साहसपूर्वक, भविष्यवाणी के साथ और खुशी से जन आंदोलनों के साथ चलना चाहिए, क्योंकि येसु ने अपना चेहरा गरीबों के चेहरे में छिपाया है।

पोप लियो ने पुष्टि की कि गरीब हाशिये पर रहने के बजाय, "सुसमाचार के केंद्र में हैं", और कहा कि कलीसिया को असमानता की निंदा करनी चाहिए, जो "सामाजिक बुराइयों की जड़" है।

पोप लियो 13वें के समय की तरह, बहिष्कार सामाजिक अन्याय का नया चेहरा बना हुआ है, पोप ने कहा, "व्यवस्थागत मनमानी" जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता को हमारी जेबों में रखता है जबकि लाखों लोग अपनी बुनियादी मानवीय आवश्यकताओं से वंचित होकर तड़प रहे हैं।

उन्होंने कहा, "सरल शब्दों में कहें तो, खराब प्रबंधन प्रगति के बहाने असमानताओं को जन्म देता है और बढ़ाता है। और मानवीय गरिमा को केंद्र में न रखकर, व्यवस्था न्याय के मामले में भी विफल हो जाती है।"

पोप लियो 14वें ने समकालीन समाज को प्रभावित करनेवाली कई बुराइयों का ज़िक्र करते हुए कहा कि जलवायु संकट इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण है। उन्होंने कहा कि सबसे गरीब लोग और देश मौसम संबंधी अत्यन्त खराब घटनाओं को झेल रहे हैं।

समाज को नुकसान पहुँचानेवाली "नई चीजों" का एक और पहलू, उस चीज की लालसा है जो सोशल मीडिया गरीबों में पैदा करता है, झूठी अतिशयोक्तिपूर्ण जीवनशैली और बेलगाम उपभोक्तावाद को बढ़ावा।

साथ ही, डिजिटल जुआ प्लेटफ़ॉर्म किसी के नियंत्रण से बाहर की घटनाओं के आधार पर बाध्यकारी निर्भरता और व्यसनकारी आदतें पैदा करने के लिए काले पैटर्न का इस्तेमाल करते हैं।

पोप लियो ने दवा उद्योग द्वारा "शारीरिक कल्याण के पंथ, शरीर की पूजा, जिसमें दर्द के रहस्य को पूरी तरह से अमानवीय बना दिया जाता है" को बढ़ावा देने की भी निंदा की।

उन्होंने कहा कि यह रवैया दर्द निवारक दवाओं और ओपिओइड तथा फेंटेनाइल जैसी घातक दवाओं पर निर्भरता को जन्म देता है, खासकर, अमेरिका में।

पोप ने बताया कि कोल्टन—जो आधुनिक तकनीकी उपकरणों का आधार है—कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य सहित उन गरीब देशों में अर्धसैनिक हिंसा और बाल श्रम को बढ़ावा दे रहा है जहाँ यह पाया जाता है।

उन्होंने कहा, "लिथियम एक और उदाहरण है। इसके निष्कर्षण के लिए महाशक्तियों और बड़ी कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा गरीब देशों की संप्रभुता और स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरा है।"

अंत में, पोप लियो ने राज्यों के अपनी सीमाओं की रक्षा करने के अधिकारों की पुष्टि की, लेकिन कहा कि उन्हें सुरक्षा के अपने अधिकार को "शरण प्रदान करने के नैतिक दायित्व" के साथ संतुलित करना होगा।

उन्होंने कहा, "इन 'अवांछनीय' लोगों [प्रवासियों] के साथ और भी अमानवीय उपाय अपनाए जा रहे हैं—यहाँ तक कि राजनीतिक रूप से भी इनका स्वागत किया जा रहा है—जैसे कि वे इंसान न होकर कचरा हों।" "दूसरी ओर, ख्रीस्तीय धर्म उस ईश्वर का उल्लेख करता है जो प्रेम है, जिसने हमें रचा है और हमें भाई-बहनों की तरह रहने के लिए बुलाया है।"

इसके बाद पोप लियो 14वें ने अमानवीयकरण के इन रूपों को संबोधित करने और "मानवता के चैंपियन, न्याय के साक्षी और एकजुटता के कवि" के रूप में कार्य करने के लिए लोकप्रिय आंदोलनों और नागरिक समाज को धन्यवाद दिया।

उन्होंने कहा कि संगठन और कर्मचारियों के संघ, श्रमिकों के लगातार छोटे प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं और कमजोर श्रमिकों को उचित सुरक्षा प्रदान करने में असमर्थ रहे हैं।

पोप लियो ने कहा कि जन आंदोलनों का आह्वान है कि वे ख्रीस्तीयों और सरकारों के साथ मिलकर अतीत की सामाजिक संस्थाओं द्वारा छोड़े गए खालीपन को भरें, जिनके बारे में उन्होंने कहा कि वे "पूर्ण नहीं" थीं, बल्कि जिनके पतन ने लोगों को "पहले से कहीं अधिक असुरक्षित" बना दिया है।

पोप लियो 14वें ने अंत में कहा, "कलीसिया भूमि, आवास और रोजगार के लिए आपके न्यायोचित संघर्षों का समर्थन करता है।" "मेरे पूर्वाधिकारी फ्रांसिस की तरह, मेरा मानना ​​है कि न्यायोचित मार्ग जमीन से शुरू होते हैं, परिधि से केंद्र की ओर।"

"मैं आज कहता हूँ: आवास, रोजगार और भूमि पवित्र अधिकार हैं, इनके लिए लड़ना सार्थक है, और मैं चाहूँगा कि आप मुझे यह कहते हुए सुनें कि 'मैं यहाँ हूँ,' 'मैं आपके साथ हूँ!'"

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24 अक्तूबर 2025, 13:02