संत घोषणा समारोह: संतगण ख्रीस्त में विश्वास की ज्योति जलाये रखते हैं

पोप लियो 14वें ने 19 अक्टूबर को लगभग 70,000 विश्वासियों के साथ 7 नये संतों के संत घोषणा समारोह का अनुष्ठान किया तथा ख्रीस्तियों को याद दिलाया कि ईश्वर से पूर्ण भरोसे के साथ प्रार्थना करते रहना चाहिए, भले ही हम परीक्षाओं और क्लेश का सामना कर रहे हों।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, सोमवार, 20 अक्तूबर 2025 (रेई) : वाटिकन स्थित संत पेत्रुस मागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 19 अक्टूबर को विश्व मिशन रविवार के अवसर पर पोप लियो 14वें ने लगभग 70,000 विश्वासियों के साथ नये संतों को काथलिक कलीसिया का सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया।

धर्मविधि के प्रारंभ में, संत प्रकरण विभाग के प्रीफेक्ट कार्डिनल मार्सेलो सेमेरारो ने, संत पापा को विश्वव्यापी कलीसिया द्वारा सम्मान के लिए नामित सात उम्मीदवारों की जीवनियाँ प्रस्तुत कीं। इसके बाद नए संतों के पवित्र अवशेष गिरजाघर के प्रांगण में वेदी के समक्ष स्थापित किये गये।

संत पापा का धर्मोपदेश

प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुसमाचार पाठ जिसको अभी-अभी सुनाया गया, उसके अंत में एक सवाल है, हमें चिंतन के लिए प्रेरित करता है, "जब मानव पुत्र आएगा, तो क्या वह पृथ्वी पर विश्वास बचा हुआ पाएगा?" (लूका 18:8) यह प्रश्न हमें बताता है कि प्रभु की दृष्टि में सबसे मूल्यवान क्या है: विश्वास, अर्थात् ईश्वर और मानव के बीच प्रेम का बंधन। आज, सात साक्षी हमारे सामने हैं, नए संतगण, जिन्होंने ईश्वर की कृपा से विश्वास का दीपक जलाए रखा; वास्तव में, वे ख्रीस्त का प्रकाश फैलाने में सक्षम दीपक बन गए हैं।

जब हम महान भौतिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और कलात्मक खजानों पर चिंतन करते हैं, तो विश्वास इसलिए नहीं चमकता कि इन वस्तुओं का मूल्य कम आंका जाना चाहिए, बल्कि इसलिए कि विश्वास के बिना वे अपना अर्थ खो देते हैं। ईश्वर के साथ हमारा रिश्ता अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि समय की शुरुआत में उन्होंने शून्य से सभी वस्तुओं की रचना की थी और समय के अंत में, वे नश्वर प्राणियों को शून्य से बचाएँगे। इस प्रकार, विश्वास के बिना, दुनिया बिना पिता के बच्चों (अनाथ), यानी बिना उद्धारवाले प्राणियों से आबाद होगी।

ईश्वर में विश्वास के बिना, मुक्ति की आशा नहीं

इसलिए, ईश्वर के पुत्र, येसु, जो मनुष्य बने, विश्वास के बारे में पूछते हैं: यदि यह संसार से लुप्त हो जाए, तो क्या होगा? स्वर्ग और पृथ्वी तो पहले जैसे ही रहेंगे, परन्तु हमारे हृदयों में आशा नहीं रहेगी; मृत्यु सभी की स्वतंत्रता को नष्ट कर देगी; जीवन की हमारी अभिलाषा क्षीण हो जाएगी। ईश्वर में विश्वास के बिना, हम मुक्ति की आशा नहीं कर सकते। येसु का प्रश्न हमें विचलित कर सकता है, लेकिन केवल तभी जब हम यह भूल जाएँ कि यह प्रश्न स्वयं येसु ने पूछा है। वास्तव में, प्रभु के वचन सदैव "सुसमाचार" हैं, मुक्ति का आनंदमय उद्घोष। यह मुक्ति अनन्त जीवन का वरदान है जो हमें पवित्र आत्मा की शक्ति से, पुत्र के माध्यम से, पिता से प्राप्त होता है।

येसु हमें एक दृष्टांत के माध्यम से इस संबंध को दर्शाते हैं: एक न्यायकर्ता एक विधवा की तेज प्रार्थनाओं को अनसुनी करता है, लेकिन उसकी लगातार कोशिश अंततः उसे कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। ऐसी दृढ़ता हमारे लिए भी आशा का एक सुंदर उदाहरण बन जाती है, खासकर, परीक्षा और क्लेश के समय में। उस महिला का दृढ़ निश्चय और न्यायाधीश, जो अनिच्छा से कार्य करता है, येसु के एक उत्तेजक प्रश्न के लिए मंच तैयार करता है: क्या ईश्वर, जो भला पिता हैं, "अपने चुने हुओं का न्याय न करेंगे, जो दिन-रात उसकी दुहाई देते रहते हैं?" (लूका 18:7)

हमारे सामने दो प्रलोभन

संत पापा ने विश्वासियों से कहा, “आइए, हम इन शब्दों को अपने हृदय में गूँजने दें: प्रभु हमसे पूछ रहे हैं कि क्या हम विश्वास करते हैं कि ईश्वर सभी के प्रति न्यायी न्यायकर्ता हैं। क्या हम विश्वास करते हैं कि पिता सदैव हमारा भला और प्रत्येक व्यक्ति का उद्धार चाहते हैं। इस संबंध में, दो प्रलोभन हमारे विश्वास की परीक्षा लेते हैं: पहला प्रलोभन बुराई के कलंक से बल प्राप्त करता है, जो हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि ईश्वर उत्पीड़ितों की पुकार नहीं सुनते और पीड़ित निर्दोषों पर उन्हें कोई दया नहीं आती। दूसरा प्रलोभन यह दावा है कि ईश्वर को वैसा ही कार्य करना चाहिए जैसा हम चाहते हैं। संत पापा ने कहा कि इस प्रकार की प्रार्थना ईश्वर को आदेश देना है कि उन्हें यह सिखाना कि  किस प्रकार न्यायपूर्ण और प्रभावी होना चाहिए।

येसु हमें प्रलोभनों से मुक्त करते

संत पापा ने कहा, येसु जो पुत्रतुल्य भरोसे के सिद्ध साक्षी हैं, हमें दोनों प्रलोभनों से मुक्त करते हैं। वे निर्दोष हैं जो, विशेषकर अपने दुःखभोग के दौरान, इस प्रकार प्रार्थना करते हैं: "हे पिता, तेरी इच्छा पूरी हो" (लूका 22:42)। प्रभु हमें "हमारे पिता" में यही शब्द देते हैं। आइए, हम याद रखें कि चाहे हमारे साथ कुछ भी हो, येसु ने स्वयं को पुत्र के रूप में पिता को सौंप दिया। इसलिए, हम उनके नाम में भाई-बहन हैं, और हम घोषणा कर सकते हैं: "यह वास्तव में उचित और न्यायसंगत है, हमारा कर्तव्य और हमारा मुक्ति है, कि हम निरंतर और हर जगह आपको धन्यवाद दें,  हमारे प्रभु येसु के माध्यम से, हे पवित्र पिता, सर्वशक्तिमान और शाश्वत ईश्वर।

कलीसिया की प्रार्थना हमें याद दिलाती है कि ईश्वर सभी को न्याय प्रदान करते हैं, सभी के लिए अपना जीवन देते हैं। इसलिए, जब हम प्रभु से पुकारते हैं, "आप कहाँ हैं?", तो आइए हम इस आह्वान को प्रार्थना में बदलें, तब हम पहचानेंगे कि ईश्वर वहाँ उपस्थित हैं जहाँ निर्दोष पीड़ित हैं। मसीह का क्रूस ईश्वर के न्याय को प्रकट करता है, और ईश्वर का न्याय क्षमा है। वे बुराई को देखते हैं और उसे अपने ऊपर लेकर उसका निवारण करते हैं। जब हम पीड़ा और हिंसा, घृणा और युद्ध द्वारा "क्रूस पर चढ़ाए" जाते हैं, तो ख्रीस्त पहले से ही वहाँ मौजूद होते हैं, वे क्रूस पर हमारे लिए और हमारे साथ हैं। ऐसी कोई पुकार नहीं है जिसे ईश्वर सांत्वना न दें; ऐसा कोई आँसू नहीं है जो उनके हृदय से दूर हो। प्रभु हमारी सुनते हैं, हमें वैसे ही गले लगाते हैं जैसे हम हैं, और हमें वैसे ही रूपांतरित करते हैं जैसे वे हैं। हालाँकि, जो ईश्वर की दया को अस्वीकार करते हैं, वे अपने पड़ोसियों के प्रति दया करने में असमर्थ रहते हैं। जो लोग शांति को एक उपहार के रूप में स्वीकार नहीं करते, वे शांति देना नहीं जानते।

येसु का निमंत्रण

प्रिय मित्रों, अब हम समझते हैं कि येसु के प्रश्न, आशा और कर्म के लिए एक शक्तिशाली निमंत्रण हैं: जब मानव पुत्र आएगा, तो क्या उसे ईश्वर की कृपा में विश्वास मिलेगा? वास्तव में, यही विश्वास न्याय के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को बनाए रखता है, क्योंकि हम मानते हैं कि ईश्वर प्रेम से संसार को बचाते हैं, हमें भाग्यवाद से मुक्त करते हैं। जब हम कठिनाई में पड़े लोगों की पुकार सुनते हैं, तो आइए हम स्वयं से पूछें, क्या हम पिता के प्रेम के साक्षी हैं, जैसा कि ख्रीस्त ने सभी के लिए साक्ष्य दिया है? वे विनम्र हैं जो घमंडियों को मनपरिवर्तन के लिए बुलाते हैं, वे धर्मी हैं जो हमें धर्मी बनाते हैं। हम यह सब नए संतों के जीवन में देखते हैं: वे किसी आदर्श के नायक या समर्थक नहीं हैं, बल्कि सच्चे पुरुष और महिलाएँ हैं।

ख्रीस्त के वफादार मित्र

ख्रीस्त के ये वफादार मित्र अपने विश्वास के लिए शहीद हुए, जैसे बिशप इग्नासियो मालोयान और धर्मशिक्षक पीटर टू रोट; प्रचारक और मिशनरी के रूप में सिस्टर मारिया त्रोंनकाती; विशिष्ट संस्थापक रूप में सिस्टर विंसेंज़ा मारिया पोलोनी और सिस्टर मारिया देल मोंते कार्मेलो रेंडिलेस मार्तिनेज़; भक्ति से प्रज्वलित हृदयवाले, मानवता के उपकारक के रूप में बार्तोलो लोंगो और जोस ग्रेगोरियो हर्नांडेज़ सिस्नेरोस। उनकी मध्यस्थता हमारी परीक्षाओं की घड़ी में हमारी सहायता करे और उनका उदाहरण हमें पवित्रता के लिए प्रेरित करे।

इस लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए, आइए हम निरंतर प्रार्थना करें, और जो हमने सीखा है और जिस पर दृढ़ विश्वास है, उसे जारी रखें ताकि पृथ्वी पर विश्वास स्वर्ग की आशा को बनाए रखे।

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20 अक्तूबर 2025, 13:33