येसु संघियों से पोप : साहस एवं आत्मपरख के साथ सरहदों में जाएँ
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 24 अक्टूबर 2025 (रेई) : वाटिकन में सोसाइटी ऑफ जीसस के मेजर सुपीरियर्स की बैठक के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, पोप ने जेसुइट सुपीरियर जनरल फादर आर्तुरो सोसा को धन्यवाद दिया और सोसाइटी को “आज की दुनिया में अपने मिशन को जीने के नए तरीकों को समझने” के लिए प्रोत्साहित किया।
येसु संघ में मेजर सुपीरियर्स की 2005 के बाद पहली सभा है जो दुनियाभर के लगभग 100 जेसुइट्स को एक साथ लाता है, जिनमें प्रोविंशल, क्षेत्रीय सुपीरियर और सम्मेलन अध्यक्ष शामिल हैं। 17 अक्टूबर से शुरू हुई इस दस दिवसीय बैठक में चिंतन, सामुदायिक आत्मपरख और पवित्र द्वार के माध्यम से जयंती तीर्थयात्रा के कार्यक्रम शामिल हैं।
सरहद की ओर बुलावा
बदलते युग, जिसमें तेजी से सांस्कृतिक, आर्थिक, तकनीकी और राजनीतिक बदलाव हो रहे हैं, खासकर, कृत्रिम बुद्धिमता, हमारे कार्य एवं संबंधों की समझ को पुनः आकार दे रहा है, मानव प्रतिष्ठा पर सवाल उठ रहे हैं। जहाँ पारिस्थितिक गिरावट हमारे आमघर के लिए खतरा है और राजनीतिक व्यवस्थाएँ गरीबों की पुकार पर ध्यान नहीं देतीं। कई लोग उपभोक्तावाद, व्यक्तिवाद और उदासीनता से प्रभावित हैं, संत पापा ने गौर किया कि फिर भी, ख्रीस्त अपने शिष्यों को इस संसार में भेजते हैं। संत पापा ने याद किया कि येसु संघी लंबे समय से उन जगहों पर उपस्थित हैं जहाँ मानव को ईश्वर के मुक्तिदायी प्रेम की आवश्यकता है: आध्यात्मिक मार्गदर्शन, बौद्धिक विकास, गरीबों की सेवा और सांस्कृतिक सीमाओं पर ख्रीस्तीय साक्ष्य के माध्यम से। संत पापा ने येसु संघ के संस्थापक संत इग्नासियुस और उनके साथियों की याद की जो अनिश्चितता या कठिनाई से नहीं डरते थे; वे हाशिये पर गए, जहाँ विश्वास और तर्क, नई संस्कृतियों और बड़ी चुनौतियों से मिलते हैं।
पोप का आह्वान
संत पॉल षष्ठम के शब्दों की याद करते हुए पोप लियो ने कहा कि "कलीसिया में जहाँ भी, यहाँ तक कि सबसे कठिन और दुर्गम क्षेत्रों में भी, विचारधाराओं के चौराहे पर... जेसुइट्स रहे हैं और अभी भी हैं।" उसी तरह पोप बेनेडिक्ट 16वें ने भी येसु संघियों को “गहरी आस्था, सुदृढ़ संस्कृति और सच्ची मानवीय एवं सामाजिक संवेदनशीलता के साथ” इन “सीमाओं” पर सेवा करने, विश्वास और तर्क का सामंजस्य दिखाने, और उन लोगों के सामने मसीह का चेहरा प्रकट करनेवालों के रूप में वर्णित किया था जो (ख्रीस्त को) अभी तक उसे नहीं जानते।
उनके विचारों का समर्थन करते हुए संत पापा लियो ने कहा, “आज, मैं दोहराता हूँ: कलीसिया को सीमाओं पर आपकी जरूरत है—चाहे वे भौगोलिक हों, सांस्कृतिक हों, बौद्धिक हों या आध्यात्मिक। ये जोखिम भरे स्थान हैं, जहाँ परिचित नक्शे अब पर्याप्त नहीं हैं। वहाँ, संत इग्नासियुस और उनके अनुयायी जेसुइट शहीदों की तरह, आपको आत्मपरख करने, नवीनता लाने और मसीह पर भरोसा करने के लिए "सत्य की कमर कसकर, धार्मिकता का कवच पहनकर, और अपने पैरों में शांति के सुसमाचार से आने वाली तत्परता के साथ बुलाया गया है।"
सिनॉडल कलीसिया और मनपरिवर्तन
संत पापा ने सिनॉडल कलीसिया के निर्माण में येसु संघियों के योगदान को भी याद किया। उन्होंने कहा, “मैं धर्मसभा प्रक्रिया में आपके योगदान के लिए आपको धन्यवाद देता हूँ, विशेषकर, कलीसियाई समुदायों को यह समझने में मदद करने के लिए कि आशा में एक साथ कैसे चलें।”
संत पापा ने उन्हें मेल-मिलाप और न्याय के कार्यों के लिए प्रोत्साहित किया, खासकर, संघर्ष, असमानता और दुर्व्यवहार से त्रस्त दुनिया में। उन्होंने कहा, “आज, कई लोग बहिष्कार का दंश झेल रहे हैं, और पीढ़ियों एवं लोगों के बीच कई जख्म अभी तक नहीं भरे हैं। हमें मेल-मिलाप की संस्कृति के साथ "शक्तिहीनता के वैश्वीकरण" का विरोध करना चाहिए - एक-दूसरे से सत्य, क्षमा और चंगाई के साथ मिलना चाहिए; ...इस विश्वास के साथ कि अच्छाई बुराई से अधिक शक्तिशाली है।”
शांति की खोज करनेवाले बेचैन लोगों की मदद करने की सलाह देते हुए संत पापा ने कहा, "मैं आपको उस बेचैनी में लोगों से मिलने के लिए प्रोत्साहित करता हूँ: आध्यात्मिक केंद्रों, विश्वविद्यालयों, सोशल मीडिया, पारिशों और अनौपचारिक स्थानों पर जहाँ साधक एकत्रित होते हैं। विनम्रता और दृढ़ विश्वास के साथ सुसमाचार के आनंद का संचार करें। कर्म में चिंतनशील बने रहें, मसीह के साथ दैनिक अंतरंगता में बने रहें, क्योंकि केवल उनके निकट रहनेवाले ही दूसरों को उनकी ओर ले जा सकते हैं।”
ख्रीस्त के साथ रहना
इसको पूरा करने के लिए संत पापा ने उन्हें आध्यात्मिक बल प्राप्त करने की सलाह दी। उन्होंने कहा, “मैं आपको येसु के निकट बने रहने के लिए प्रोत्साहित करता हूँ। जैसा कि सुसमाचार हमें बताता है, पहले शिष्य "पूरे दिन" उनके साथ रहे। व्यक्तिगत प्रार्थना, संस्कारों के अनुष्ठान, ख्रीस्त के पवित्र हृदय के प्रति समर्पण और पवित्रतम संस्कार की आराधना के माध्यम से उनके साथ बने रहें। सामुदायिक जीवन में उनकी उपस्थिति को पहचानकर उनके साथ बने रहें। इस जड़ से, आपमें कहीं भी चलने, सत्य बोलने, मेल-मिलाप करने, चंगाई लाने, न्याय के लिए प्रयास करने, बंदियों को मुक्त करने का का साहस होगा। यदि आप मसीह के साथ चलते हैं तो कोई भी कोना आपकी पहुँच से अछूता नहीं रहेगा।
अंत में संत पापा ने सोसाइटी ऑफ जीसस के लिए अपनी आशा व्यक्त की कि “आप आध्यात्मिक गहराई के साथ समय के संकेतों को पढ़ें; आप मानवीय गरिमा को बढ़ावा देनेवाली चीजों को अपनाएँ और कम करने वाली चीजों को अस्वीकार करें; आप चुस्त, रचनात्मक, विवेकशील और हमेशा मिशन में रहें। प्रभु आपको वर्तमान और भविष्य की सीमाओं तक ले जाएँ, कलीसिया का नवीनीकरण करें और न्याय, प्रेम और सत्य के राज्य का निर्माण करें।” उनकी सेवाओं के लिए कृतज्ञता व्यक्त करते हुए पोप लियो ने उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।”
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