पौलाईन धर्मबहनों से पोप : बोझ को अपने बहुमूल्य काम में बाधा न बनने दें
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 2 अक्टूबर 2025 (रेई) : संत पापा ने कहा, "ईश वचन का प्रचार और प्रसार करना, प्रभु येसु के पदचिन्हों पर चलते हुए सुसमाचार के लिए अपना जीवन समर्पित करना, और ऐसे मार्ग, साधन और भाषाएँ खोजना जिससे सभी प्रभु को जान सकें और उनका अनुसरण कर सकें—यही आपके प्रेरिताई का मूल है।"
पोप लियो 14वें ने गुरुवार सुबह वाटिकन में संत पॉल की पुत्रियों को प्रोत्साहन दिया, जो अपने धर्मसंघ की स्थापना के एक सौ दस वर्ष बाद, अपनी महासभा (जनरल चैप्टर) में भाग लेने के लिए रोम में हैं।
संत पॉल की पुत्रियों का धर्मसंघ, पौलाईन परिवार का हिस्सा हैं, जो धर्मसंघों का एक समूह है जिसकी स्थापना धन्य जेम्स अल्बेरियोन ने संत पौलुस से प्रेरित होकर की थी।
यह देखते हुए कि सभी पाँच महाद्वीपों से आनेवाले प्रतिभागी कलीसिया की सार्वभौमिकता को दर्शाते हैं, उन्होंने कहा कि दुनिया के कई देशों में किया गया उनका मिशन और इतने विविध संदर्भों में उनके द्वारा दी गई गवाही, इस बात की भी पुष्टि करती है कि इस धर्मसंघ की स्थापना के बाद से पवित्र आत्मा ने कितने कार्य सम्पन्न किये हैं।
प्रभु के पदचिन्हों पर
हमारे समय की चुनौतियों का सामना करते हुए, उन्होंने कहा कि उनके धर्मप्रचार कार्य को नवीनीकृत और सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। इसलिए, उन्होंने सुझाव दिया कि उनकी महासभा के लिए चुनी गयी विषयवस्तु "आत्मा की अग्नि से प्रेरित होकर, समकालीन मानवता को सुनकर, हम आशा के सुसमाचार का संचार करते हैं" उपयुक्त हैं।
पोप ने स्वीकार किया कि सुसमाचार का प्रचार मिशन के केंद्र में है, फिर भी यह उतना ही सच है कि यह सामान्य जानकारी या अमूर्त सत्यों को संप्रेषित करने के बारे में नहीं है, बल्कि ठोस इतिहास में प्रवेश करने, वास्तविक जीवन से उत्पन्न प्रश्नों और चिंताओं को स्वीकार करने और हमारे समय की महिलाओं एवं पुरुषों की भाषाएँ बोलने के बारे में है।"
दो दृष्टिकोण
इसलिए, उन्होंने उनके लिए दो महत्वपूर्ण दृष्टिकोणों को नए उत्साह के साथ जीने का प्रस्ताव रखा, अर्थात् ऊपर की ओर देखना एवं अपने अंदर प्रवेश करना।
उन्होंने कहा कि ऊपर की ओर देखने के लिए पवित्र आत्मा द्वारा प्रेरित होने की क्षमता की आवश्यकता होती है।
उन्होंने कहा, "आपकी बुलाहट और आपका मिशन प्रभु से आता है—हमें इसे नहीं भूलना चाहिए," और उन्हें याद दिलाया कि व्यक्तिगत समर्पण, हमारे द्वारा अपनाए गए करिज्म, प्रेरिताई के उत्साह और हमारे प्रयुक्त साधन हमें कभी भी आत्मनिर्भरता के भ्रम या अनुमान की ओर न लें।
पवित्र आत्मा हमारे हृदयों को पुनः जागृत करता है
बल्कि, उन्होंने पुनः पुष्टि की, "यह पवित्र आत्मा ही है जो मिशन का नायक है; पवित्र आत्मा ही हमें आगे बढ़ाती है, हमारी प्रतिभाओं को विकसित करती, हमारे परिश्रम में हमें तरोताज़ा करती, सुसमाचार का आनंद ठंडा पड़ने पर हमारे हृदयों को पुनः जागृत करती और हमारे कदमों को आलोकित करती है।"
इसके बाद पोप ने खुद को वास्तविकता में रखने के दूसरे दृष्टिकोण का प्रस्ताव रखा, "क्योंकि ऊपर की ओर देखना कोई पलायन करना नहीं है, बल्कि इसके विपरीत, यह हमें मसीह के समान विनम्रता अपनाने में मदद करता है, "जिन्होंने स्वयं को एक सेवक का रूप धारण करके खाली कर दिया।"
इसका अर्थ है, उन्होंने कहा, हमारे समान शरीरधारण कर, स्वयं को दीन बनाकर, घायल मानवता की गहराइयों में प्रवेश किया और वहाँ पिता का प्रेम पहुँचाया। उसी प्रकार, आत्मा द्वारा प्रेरित होकर, आपको भी इतिहास में गोता लगाने के लिए बुलाया गया है, ताकि आज की मानवता को सुन सकें।
उन्होंने आगे कहा कि इसका अर्थ यह भी है कि आप वर्तमान संस्कृति के अनुसार जीएँ और अपने संपर्क में आनेवाले लोगों के वास्तविक जीवन में अवतरित हों।
कलीसिया और विश्व के लिए अमूल्य सेवा
पोप लियो ने कहा, "प्रिय बहनो, प्रकाशन, डिजिटल दुनिया, किताबों की दुकान प्रबंधन, रेडियो और टेलीविजन परियोजनाओं तथा बाइबिल एनीमेशन के क्षेत्र में काम करते हुए, आपकी सेवा कलीसिया और विश्व के लिए बहुमूल्य है।"
यह स्वीकार करते हुए कि वे अपनी विविध गतिविधियों के लिए जो प्रयास करती हैं, वे "कभी-कभी बोझिल होते हैं, खासकर क्योंकि आज की जटिल परिस्थितियाँ उच्च-गुणवत्ता वाले पेशेवर प्रशिक्षण की माँग करती हैं, जो दुर्भाग्य से, कभी-कभी इस तथ्य से टकराती हैं कि आपके व्यक्तिगत और भौतिक संसाधन सीमित हैं," पोप ने कहा, "हमें निराश नहीं होना चाहिए!"
इसलिए, पोप ने धर्मबहनों को इस बात पर चिंतन करने के लिए आमंत्रित किया कि कैसे करिज्म को जीवित रखा जाए, भले ही इसके लिए साहसी और कठिन विकल्पों की आवश्यकता पड़े, और "प्रेरिताई कार्य से जुड़े कार्यों के बारे में सावधानीपूर्वक आत्मपरख करने का आह्वान किया कि उन्हें कैसे किया जाता है और एक संतुलित दृष्टि के साथ नवीनीकृत करने की आवश्यकता है।"
विश्वसनीयता की आवश्यकता
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, "हमें सतर्क रहना चाहिए, ताकि हम जो उपदेश देते हैं और जिस तरह से हम रोज़मर्रा की ज़िंदगी जीते हैं, उसके बीच कोई फर्क न रहे।"
पोप ने कहा, "केवल इसी तरह, आप अपने संस्थापक द्वारा पूरे पौलाईन परिवार के लिए वांछित समग्र पद्धति के प्रति वफादार रहेंगे: मार्ग, सत्य और जीवन—मन, इच्छा और हृदय," एवं उनका एकीकृत दृष्टिकोण, "जो एक खंडित दुनिया में भविष्यसूचक प्रतीत होता है, सुसंगत और विश्वसनीय होगा।"
संत पापा ने उनसे आग्रह किया कि वे "संत पौलुस के उत्साह को देखें, कठिनाइयों एवं उत्पीड़न के बीच भी मसीह की घोषणा करने में उनके अथक आनंद को देखें और स्वयं को "आत्मा द्वारा निर्देशित होने दें, मानवता की सुनें, और सभी के लिए—विशेषकर सबसे कमज़ोर लोगों के लिए—ऊपर से आने वाली आशा लाएँ।"
अंत में, पोप लियो 14वें ने पौलाईन धर्मबहनों को संरक्षक दूतों के पर्वदिवस पर उनके लिए अपनी प्रार्थनाओं का आश्वासन दिया, और प्रेरितों की रानी मरियम की मध्यस्थता का आह्वान किया।
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