धर्मसभाई प्रतिभागियों के साथ सन्त पापा ने किया संवाद
वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शनिवार, 25 अक्टूबर 2025 (रेई वाटिकन रेडियो): वाटिकन में सन्त पापा लियो 14 वें 24 से 26 अक्टूबर तक जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में धर्मसभाई प्रतिभागियों और सहभागी निकायों के सदस्यों के साथ मुलाकात कर उनसे संवाद कर रहे हैं।
वाटिकन स्थित सन्त पापा पौल षष्टम भवन में शुक्रवार को तीन दिवसीय जयन्ती वर्ष की तीर्थयात्रा आरम्भ हुई। सन्त पापा लियो 14 वें ने समस्त विश्व के धर्मप्रान्तीय, राष्ट्रीय और कलीसियाई क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले धर्मसभाई प्रतिभागियों और सहभागी निकायों के लगभग दो हजार सदस्यों का स्वागत किया।
संरचनात्मक विकल्पों की तलाश
धर्मसभाई प्रतिभागियों और सहभागी निकायों के लिये यह जयंती वर्ष के दौरान पहला सामूहिक क्षण था, जिसका उद्देश्य धर्मसभा में विचारित अंतिम दस्तावेज़ के अभिविन्यासों को कलीसिया की धर्मसभा प्रकृति के अनुरूप धर्मप्रान्तीय और संरचनात्मक विकल्पों में बदलना था। साथ ही, इन समूहों और उनमें सेवा करने वाले लोगों द्वारा की गई बहुमूल्य सेवा को इस अवसर पर मान्यता दी गई, जिसका लक्ष्य जयंती वर्ष की आशा के क्षितिज के भीतर एक अधिक धर्मसभाई कलीसिया का निर्माण करना था।
सभा में सन्त पापा के आगमन से पूर्व धर्मसभाई प्रतिभागियों ने आशा पर केंद्रित जयंती वर्ष के आलोक में धर्मसभा से जुड़ी कलीसिया को बढ़ावा देने के अपने प्रयासों पर चर्चा की, जिसमें पवित्र आत्मा और एक-दूसरे की बात सुनकर आध्यात्मिक विवेक और निर्णय लेने की प्रक्रिया जारी रखी गई। इस दौरान नियमित सभाओं, संवाद और आपसी परामर्श के माध्यम से "एक साथ चलने" पर ध्यान केंद्रित किया है ताकि पुरोहितों के निर्णयों को समझा जा सके और कलीसियाई समुदायों के समक्ष आने वाले मुद्दों को स्थानीय संदर्भों के अनुरूप उचित रूप से संबोधित किया जा सके।
अफ़्रीका
सन्त पापा ने, महाद्वीपों के अनुसार, समूहों में विभाजित प्रतिभागियों के प्रतिनिधित्व को ध्यानपूर्वक सुना और स्थानीय कलीसियाई समुदायों की वास्तविकताओं से वाकिफ़ हुए। अफ़्रीका के संदर्भ में, उन्होंने याद दिलाया कि मिशन अथवा प्रेरिताई धर्मसभाई कलीसिया की कुँजी है। उन्होंने कहा कि एक सुनने वाली मिशनरी कलीसिया बनना अनिवार्य है जो मसीह की गवाही दे और संस्कृतियों और धर्मों के बीच सेतु का निर्माण करे। उन्होंने अफ़्रीका के युवाओं, परिवारों और जीवन शक्ति के उपहारों की प्रशंसा की तथा कलीसिया से विविधता को अपनाने, शांति, एकता को बढ़ावा देने और सृष्टि की देखभाल करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक स्थानीय वास्तविकता को समझा जाना, उसका सम्मान किया जाना ही कलीसियाई जीवन का मर्म है।
ओशिनिया
ओशिनिया पर एक रिपोर्ट सुनने के बाद, सन्त पापा ने आशा व्यक्त की कि कलीसिया धर्मसभा की भावना के माध्यम से एकता में निरंतर प्रगति करती रहेगी। उन्होंने जलवायु परिवर्तन, गरीबी और अन्याय जैसे वैश्विक मुद्दों के समाधान के लिए ठोस कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया और कलीसिया से साहसपूर्वक अपनी आवाज़ उठाने तथा सृष्टि और मानवता की सक्रिय देखभाल के लिए "लाओदातो सी" में व्यक्त सन्त पापा फ्रांसिस के आह्वान पर अमल करने का आह्वान किया।
अमरीका
अमरीका के संदर्भ में, सन्त पापा लियो ने देशों और समाजों के बीच विभाजन को स्वीकार किया तथा कलीसिया एवं समाज में धर्मसभा, सुनवाई और संवाद की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि कलीसिया में सद्भाव और एकता बनाए रखने के लिए पुरोहितों, धर्माध्यक्षों और लोकधर्मी विश्वासियों का निरंतर प्रशिक्षण इस प्रक्रिया की कुंजी है।
मध्य पूर्व और एशिया
मध्य पूर्व के संदर्भ में, सन्त पापा लियो ने आशा की ज़रूरत को रेखांकित किया। उन्होंने वहाँ के ईसाइयों के विश्वास, साहस और धीरज की प्रशंसा की तथा उन्हें पवित्र आत्मा की उपस्थिति के सच्चे संकेत बताया।
एशिया की कलीसिया के प्रति सन्त पापा ने अपनी गहरी कृतज्ञता और प्रशंसा व्यक्त की तथा इस महाद्वीप में व्याप्त विविधताओं को सराहा। उन्होंने कहा कि भाषाई, सांस्कृतिक और आर्थिक चुनौतियों के बीच धर्मसभा में एशिया के लोगों की दृढ़ता और अधिकांशतः गैर-ईसाई संदर्भों में उनके विश्वास का साक्ष्य वास्तव में प्रशंसा के योग्य है।
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