न्याय संचालकों की जयंती के तीर्थयात्रियों को सम्बोधन
वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शनिवार, 20 सितम्बर 2025 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन में शनिवार को सन्त पापा लियो 14 ने न्याय संचालकों की जयंती में भाग लेनेवाले तीर्थयात्रियों का अभिवादन कर व्यक्तियों, समुदायों और राज्यों के बीच सुव्यवस्थित संबंधों के लिए आवश्यक सेवा अर्पित करने हेतु उनके प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया।
प्रत्येक की गरिमा को बढ़ावा दें
न्याय के विशाल क्षेत्र में विभिन्न पदों पर कार्यरत सभी लोगों को समर्पित जयंती वर्ष के अवसर पर उन्होंने विभिन्न देशों से आए सभी प्रतिष्ठित न्यायाधिकारियों का अभिवादन किया। उन्होंने कहा कि जयंती वर्ष उन सभी लोगों को तीर्थयात्री बनाता है, जो कभी निराश न करनेवाले आशा के संकेतों की खोज में लगे रहते तथा "कलीसिया और समाज में, पारस्परिक संबंधों में, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में, प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा को बढ़ावा देने में और सृष्टि के प्रति सम्मान में आवश्यक विश्वास को पुनः खोजने की इच्छा रखते हैं" (जयंती सम्बन्धी आदेशपत्र, 25)।
सन्त पापा ने कहा कि न्याय और उसके कार्य पर और अधिक गहराई से विचार करने का यह सुअवसर है जो समाज के सुव्यवस्थित विकास के लिए और प्रत्येक पुरुष और महिला की अंतरात्मा को प्रेरित और निर्देशित करने वाले एक प्रमुख गुण के रूप में अनिवार्य है। वास्तव में, न्याय को केवल कानून के लागू होने, न्यायाधीशों के कार्यों तथा प्रक्रियात्मक पहलुओं तक सीमित नहीं किया जा सकता क्योंकि इसका परम श्रेष्ठ कार्य मानव सह-अस्तित्व और मानव प्रतिष्ठा को बढ़ावा देना है।
न्याय एक सदगुण है
सन्त पापा ने कहा कि सच तो यह है कि न्याय व्यक्ति की गरिमा, दूसरों के साथ उसके संबंधों और सह-अस्तित्व, साझा संरचनाओं और नियमों के सामुदायिक आयाम को जोड़ता है। सामाजिक संबंधों की यह चक्रीयता प्रत्येक मानव के मूल्य को केंद्र में रखती है, जिसे न्याय के माध्यम से संरक्षित किया जाना चाहिए।
सन्त पापा ने स्मरण दिलाया कि परंपरा हमें सिखाती है कि न्याय, सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, एक सद्गुण है, यानी एक दृढ़ और स्थिर दृष्टिकोण जो हमारे आचरण को तर्क और विश्वास के अनुसार निर्देशित करता है।
न्याय का सद्गुण, विशेष रूप से, "ईश्वर और पड़ोसी को उनका हक़ देने की निरंतर और दृढ़ प्रतिबद्धता" में निहित है। इस दृष्टिकोण से न्याय "प्रत्येक व्यक्ति के अधिकारों का सम्मान करने और मानवीय संबंधों में सद्भाव स्थापित करने हेतु प्रेरित करता तथा व्यक्तियों और सामान्य भलाई के प्रति समता को बढ़ावा देता है।" उन्होंने कहा कि न्याय एक ऐसी व्यवस्था की है जो उन कमज़ोरों की रक्षा करती है, जो उत्पीड़न के शिकार है तथा बहिष्कृत या उपेक्षित होने के कारण न्याय की तलाश करते हैं।
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