संत पॉल महागिरजाघर में 21वीं सदी में शहीदों और विश्वास के साक्षियों का स्मरणोत्सव संत पॉल महागिरजाघर में 21वीं सदी में शहीदों और विश्वास के साक्षियों का स्मरणोत्सव   (ANSA)

संत पापा: शहीद विभिन्न पृष्ठभूमि के ख्रीस्तियों को एकजुट कर सकते हैं

21वीं सदी में शहीदों और विश्वास के साक्षियों के स्मरणोत्सव में, संत पापा लियो ने ख्रीस्तीय संप्रदायों और समुदायों के प्रतिनिधियों के साथ शहीदों के उदाहरणों को याद किया, जिनकी आशा हिंसा के बजाय ख्रीस्तीय मूल्यों पर आधारित थी।

वाटिकन न्यूज

रोम, सोमवार 15 सितंबर 2025 :  14 सितंबर की शाम को, दीवारों के बाहर संत पॉल महागिरजाघर में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया—इक्कीसवीं सदी में शहीदों और विश्वास के साक्षियों का स्मरणोत्सव। संत पापा लियो 14वें ने विभिन्न ख्रीस्तीय संप्रदायों और समुदायों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर इस स्मरणोत्सव की अध्यक्षता की।

इस कार्यक्रम में संत मत्ती के सुसमाचार से लिये गये आशीर्वादों का उपयोग इन शहीदों के जीवन और ख्रीस्तीय मूल्यों के प्रति उनके साक्ष्य पर प्रकाश डालने के लिए किया गया—विभिन्न कलीसियाओं और समुदायों के विभिन्न सदस्यों और प्रतिनिधियों ने प्रार्थना की।

 आशीर्वचनों पर चिंतन करते हुए, क्रू के नीचे मोमबत्ती लाई जा रही है,
आशीर्वचनों पर चिंतन करते हुए, क्रू के नीचे मोमबत्ती लाई जा रही है,   (ANSA)

प्रेम मृत्यु से भी अधिक शक्तिशाली है।

अपने प्रवचन में, संत पापा ने 14 सितंबर को मनाए जाने वाले पवित्र क्रूस विजय पर्व पर प्रकाश डाला और बताया कि कैसे क्रूस की छवि यातना के प्रतीक से "हमारे उद्धार का साधन", "ख्रीस्तियों की आशा" और "शहीदों की महिमा" में परिवर्तित हो गई।

ऑर्थोडोक्स कलीसियाओं, प्राचीन पूर्वी कलीसियाओं, ख्रीस्तीय समुदायों और ख्रीस्तीय एकता वर्धक संगठनों के सदस्यों का स्वागत करते हुए, संत पापा ने संत पापा जॉन पॉल द्वितीय के विश्वपत्र "उत उनुम सिंत" (कि वे एक हो जाएं) का उल्लेख करते हुए कहा कि "मृत्यु तक शहादत" "मसीह के साथ सबसे सच्चा संवाद है जिन्होंने अपना रक्त बहाया।"

संत पापा लियो ने कहा कि आज भी, "घृणा जीवन के हर पहलू में व्याप्त है"। फिर भी, साहसी पुरुषों और महिलाओं—"सुसमाचार के सेवकों और शहीदों"—ने अपने विश्वास के प्रति समर्पण के माध्यम से दिखाया कि प्रेम मृत्यु से भी अधिक शक्तिशाली है।

21वीं सदी में शहीदों और विश्वास के साक्षियों का स्मरणोत्सव

वे भी क्रूस उठाते हैं

विश्वास के लिए मरने वालों को याद करते हुए, संत पापा ने सभी से क्रूस की ओर देखने का आग्रह किया, जहाँ येसु ने "हमें ईश्वर का सच्चा चेहरा, मानवता के लिए उनकी असीम करुणा" दिखाई। उन्होंने बताया कि क्रूस पर येसु ने "अपमानित और उत्पीड़ित सभी लोगों के भाग्य को साझा करने के लिए" दुनिया की घृणा को अपने ऊपर ले लिया।

हमारे आधुनिक समय में, प्रभु की तरह, हमारे बहुत से भाई-बहनों को "कठिन परिस्थितियों और प्रतिकूल परिस्थितियों में सताया जाता है, निंदा की जाती है और मार डाला जाता है। वे विश्वास की गवाही के माध्यम से इस क्रूस को उठाते रहते हैं।"

ये वे पुरुष और महिलाएँ हैं जिन्हें येसु ने आनंद प्रदान किया है। सुसमाचार के प्रति अपनी निष्ठा, न्याय के प्रति समर्पण और सबसे ज़रूरतमंदों के साथ एकता के लिए वे जो कीमत चुकाते हैं, वह है उनका जीवन। संत पापा लियो ने बताया कि "दुनिया के मानकों के अनुसार, वे पराजित हो चुके हैं।" लेकिन प्रज्ञा ग्रंथ कुछ और कहती है: "उनकी आशा अमरता से भरी है।"

आशा के जयंती वर्ष के मध्य में, संत पापा ने सभी को विश्वास के इन गवाहों का उत्सव मनाने के लिए प्रोत्साहित किया। उनकी शहादतों के माध्यम से, सुसमाचार का संदेश फैलता रहता है। "यह अमरता से भरी आशा है क्योंकि, भले ही वे शारीरिक रूप से मारे गए हों, कोई भी उनकी आवाज़ को दबा नहीं सकता या उनके द्वारा दिखाए गए प्रेम को मिटा नहीं सकता।" उनकी गवाही बुराई पर विजय की भविष्यवाणी के रूप में जारी है।

एक निहत्थी आशा

संत पापा लियो ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इन शहीदों की गवाही "एक निहत्थी आशा" है क्योंकि उन्होंने बल और हिंसा के हथियारों के बजाय सुसमाचार की शक्ति को चुना।

इसके बाद उन्होंने सिस्टर दोरोथी स्टैंग का उदाहरण दिया, जिन्होंने अपना जीवन "अमेज़न के भूमिहीनों" के लिए समर्पित कर दिया था। जब उनके हमलावरों ने उनसे उनका हथियार माँगा, तो उन्होंने उन्हें अपनी बाइबिल दिखाई और उसे अपना एकमात्र हथियार बताया। संत पापा ने इराक के मोसुल के एक खलदेई पुरोहित फादर राघीद गन्नी को भी याद किया, जिन्होंने सच्चे ख्रीस्तीय मूल्यों की गवाही देने के लिए युद्ध करने से इनकार कर दिया था।

एक और उदाहरण ब्रदर फ्रांसिस टोफी का था, जो एक एंग्लिकन और मेलानेशियन धर्मबंधुओं के सदस्य थे, जिन्होंने सोलोमन द्वीप समूह में शांति के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। संत पापा लियो ने ज़ोर देकर कहा कि "आज तक ख्रीस्तियों का उत्पीड़न समाप्त नहीं हुआ है; इसके विपरीत, दुनिया के कुछ हिस्सों में यह बढ़ गया है।"

प्रवचन देते हुए संत पापा लियो
प्रवचन देते हुए संत पापा लियो   (ANSA)

हम भूल नहीं सकते

संत पापा ने कहा, "हम भूलना नहीं चाहते और न ही भूल सकते हैं, हम याद रखना चाहते हैं।" संत पापा ने स्पष्ट किया कि अन्य कलीसियाओं और ख्रीस्तीय संप्रदायों के अपने भाइयों और बहनों के साथ, हम उनकी गवाही और कहानियों को जीवित रखना चाहते हैं।

उन्होंने सभी ख्रीस्तीय संप्रदायों से इन पुरुषों और महिलाओं की स्मृति की रक्षा के लिए काथलिक कलीसिया की प्रतिबद्धता की पुष्टि की - यह कार्य संत प्रकरण के लिए गठित विभाग द्वारा ख्रीस्तीय एकता को बढ़ावा देने के लिए गठित विभाग के साथ मिलकर किया जा रहा है।

संत पापा ने हाल ही में हुई धर्मसभा के एक संदेश को दोहराया: "रक्त की सार्वभौमिकता विभिन्न पृष्ठभूमियों के ख्रीस्तियों को एकजुट करती है जो मिलकर ईसा मसीह में विश्वास के लिए अपना जीवन समर्पित करते हैं। उनकी शहादत की गवाही किसी भी शब्द से ज़्यादा प्रभावशाली है: एकता प्रभु के क्रूस से आती है।"

समापन से पहले, संत पापा लियो ने एक पाकिस्तानी बच्चे, अबीश मसीह को याद किया, जो काथलिक गिरजाघऱ पर हुए एक हमले में मारा गया था। इस बच्चे ने एक नोटबुक में लिखा था, "दुनिया को एक बेहतर जगह बनाना।" संत पापा ने सभी से आग्रह किया कि अबीश के सपने से हमें साहसपूर्वक विश्वास की गवाही देने की प्रेरणा मिले और इसके माध्यम से, "एक शांतिपूर्ण और भाईचारे वाली मानवता के लिए खमीर" बनें।

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15 सितंबर 2025, 15:18