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संत पापा लियो बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा लियो बुधवारीय आमदर्शन समारोह में  (ANSA)

संत पापाः ईश्वरीय समय और कृपा पर विश्वास करें

संत पापा लियो ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह में पुण्य शनिवार, प्रतीक्षापूर्ण समय के रहस्य पर चिंतन करते हुए आशा में बने रहने का आहृवान किया।

वाटिकन सिटी

संत पापा लियो ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो।

येसु हमारी आशा पर अपनी धर्मशिक्षा माला की कड़ी में हम आज पुण्य शनिवार के रहस्य पर चिंतन करेंगे। ईश पुत्र कब्र में रखा जाता है। लेकिन उनकी यह अनुपस्थिति अपने में खालीपन नहीं है-यह एक प्रतीक्षा है, एक संयमित पूरिर्णतः, अंधेरे रखी गई एक प्रतिज्ञा। यह शांति का एक बृहृद दिन है जहाँ हम आकाश को मौन और पृथ्वी को गतिहीन पाते हैं, लेकिन उस परिस्थिति में हम विशेष रुप से ख्रीस्तीय विश्वास की एक सबसे गहरी रहस्य की पूर्णतः को पाते हैं। यह एक वह शांति हैं जो अपने में अर्थ से भरी है, मानो एक माता अपने गर्भ में अजन्में को वहन करती है जो अपने में जीवित है।

वाटिका से शुरूआत

संत पापा लियो ने कहा कि येसु का शरीर, क्रूस से उतारा जाता है, उसे सावधानीपूर्वक कपड़े में लपेटा जाता है वैसे ही जैसे कोई किसी कीमती वस्तु के साथ करता हो। सुसमाचार लेखक योहन हमें बतलाते हैं कि उन्हें एक वाटिका में दफनाया गया था, एक नये कब्र के अंदर जिसमें किसी को नहीं रखा गया था। अपने में कुछ भी नहीं रह जाता है। वह वाटिका हमें उस खोये आदम वाटिका की याद दिलाती है जहाँ ईश्वर और मनुष्य के बीच में एक संबंध था। और वह कब्र, जिसका कभी उपयोग नहीं किया गया था, अपने में कुछ होने की बातों की ओर इंगित करता है- यह एक शुरूआत है न कि समाप्ति। सृष्टि के शुरू में ईश्वर ने एक वाटिका की रचना की, अब नई सृष्टि की भी शुरूआत एक वाटिका से होती है-एक बंद कब्र से जो जल्द अपने में खुल जायेगा।

ईश्वर का विश्राम रहस्यमय

संत पापा ने कहा कि पुण्य शनिवार एक विश्राम का भी दिन है। यहूदी संहिता के अनुसार, सातवें दिन कोई कार्य नहीं किया जाता है- वास्तव में, सृष्टि के छटवें दिन ईश्वर आराम करते हैं। अब, ईश्वर का पुत्र भी, मुक्ति के अपने कार्यों की पूर्णतः उपरांत आराम करते हैं। इसलिए नहीं कि वे थक गये, बल्कि इसलिए क्योंकि उन्होंने अंतिम समय तक प्रेम किया। इसमें और कुछ जोड़ने के लिए नहीं रह गया है। इस आराम को हम कार्यों पूरा होने की मोहर के रूप में पाते हैं, यह इस बात को सुनिश्चित करता है कि जो कार्य सचमुच में पूरा किया जाने को था वह पूरा किया जा चुका है। इस आराम में हम ईश्वर की उपस्थिति को पूरी तरह गुप्त रुप में पाते हैं।

अपने दिनचर्या में विश्राम

हम रूकने और आराम करने में संघर्ष करते हैं। हम अपने जीवन को इस रूप में जीते हैं मानो जीवन अपने में कभी पर्याप्त ही न हो। हम उत्पादन में, अपने को साबित करने में अपने को बनाये करने में जल्दबाजी करते हैं। लेकिन सुसमाचार हम बतलाता है कि हमें कैसे रुकना है, यह हमारे लिए अपने में विश्वास का एक कार्य है जिसे हमें सीखने की आवश्यकता है। पुण्य शनिवार हमें इस बात के लिए निमंत्रण देता है कि जीवन हमेशा उन बातों में निर्भर नहीं करता है जिन्हें हम करते हैं, लेकिन इस बात में कि हम कैसे उन कार्यों को छोड़ा सीखते हैं जिन्हें हम करते आ रहे हैं।

विश्राम का समय, पुनरूत्थान की शक्ति

कब्र में, येसु ,पिता के जीवित शब्द अपने में शांत हैं। लेकिन उस विशेष शांति में हम नये जीवन की शुरूआत को पाते हैं। वह उस बीज की भांति होता है, भोर के पहले उस अंधेरे की भांति। ईश्वर समय के बीतने से भयभीत नहीं होते हैं, क्योंकि वे प्रतीक्षा करने वाले ईश्वर भी हैं। इस भांति, हमारे “व्यर्थ के समय” भी, जहाँ हम रूकते हैं, जहाँ खालीपन, बंजर क्षणें अपने में पुनरूत्थान के गर्भ हो सकते हैं। हर शांति जिसका स्वागत किया जाता है अपने में एक नये शब्द का आधार बन सकता है। हर छोड़ा गया समय अपने में कृपा का एक समय हो सकता है, यदि हम इसे ईश्वर के लिए अर्पित करते हैं।

संत पापा की धर्मशिक्षा माला

रूकें और कमजोरियों का आलिंगन करें

संत पापा लियो ने कहा कि येसु भूमि में दफनाये गये, ईश्वर के एक दीनहीन चेहरे हैं जो सभी स्थानों को नहीं घेरते हैं। वे वह ईश्वर हैं जो चीजों को होने देते हैं, वे इंतजार करते हैं, वे हमें स्वतंत्रता में छोड़ देते हैं। वे वह ईश्वर हैं जो विश्वास करते हैं, यहाँ तक की उन परिस्थितियों में भी जो अपने में खत्म जान पड़ती हैं। और हम उस विश्राम दिन में, इस बात को सीखते हैं कि हमें उठने हेतु जल्दबाजी करने की जरुरत नहीं है। सर्वप्रथम हमें रूकना है और शांति का स्वागत करना है, हमें अपनी कमजोरियों का आलिंगन करना है। कभी-कभी हम अपने लिए तुरंत उत्तर की मांग करते हैं, हम शीघ्र समाधान खोजते हैं। लेकिन ईश्वर गरहाई में कार्य करते हैं, विश्वास की धीमी गति में। पुण्य शनिवार का दफन इस भांति गर्भ बनता है जहाँ से अजेय पास्का की ज्योति प्रस्फुटित होकर निकलती है।

पुण्य शनिवार की याद करें

प्रिय भाइयो एवं बहनों, संत पापा लियो ने कहा कि ख्रीस्तीय आशा का जन्म शोर में नहीं होता है लेकिन यह प्रतिक्षा की शांति में उत्पन्न होती है जहाँ हम प्रेम को भरा पाते हैं। यह उत्साह से उत्पन्न नहीं होता बल्कि विश्वास में छोड़े जाने में होता है। कुंवारी मरियम हमें इसके बारे में शिक्षा देती हैं, वे इस प्रतीक्षा को अपने में वहन करती हैं, इस विश्वास और इस आशा को। जब हमें ऐसा लगता है कि सारी चीजें रूक गई हैं, जीवन अपने में अवरूध राह बन गई है तो वैसे स्थिति में हम पुण्य शनिवार की याद करें। यहाँ तक की कब्र से, ईश्वर हमारे लिए एक सबसे बड़े आश्चर्य को देने हेतु तैयार होते हैं। और यदि हम कृतज्ञता में इन सारी चीजों का स्वागत करना जानते हैं, तो हम इस बात को पायेंगे कि विशेषकर छोटेपन और शांति में, ईश्वर सच्चाई को प्रेम में बदलते हैं, वे अपनी निष्ठा में सारी चीजों को नया बना देते हैं। सच्ची खुशी हमारे लिए इंतजार में, धैर्यपूर्ण विश्वास में, आशा में जन्म लेती है, वह जो प्रेम में जीया गया है निश्चित रूप ही अनंत जीवन को प्राप्त करेगा।

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17 सितंबर 2025, 11:17