सांत्वना की जयंती प्रार्थना सभा में संत पापा लियो सांत्वना की जयंती प्रार्थना सभा में संत पापा लियो  (ANSA)

संत पापाः “सुदृढ़ और अटल” विश्वास में सांत्वना

संत पापा ने सांत्वना की जयंती हेतु एकत्रित विश्वासियों को दूसरों के संग ईश्वरीय सांत्वना की अनुभूति को साझा करने का आहृवान किया। ईश्वर हमें सांत्वना प्रदान करते हैं जिससे हम दूसरों के लिए सांत्वना का कारण बन सकें।

वाटिकन सिटी

संत पापा लियो ने सांत्वना की जयंती, जागरण प्रार्थना के संदेश में कहा कि सुदृढ़ और अटल विश्वास हमारे लिए सांत्वना का कारण बनते हैं।

“सांत्वना दो, मेरे लोगों को सांत्वना दो।” इस अपील को हम नबी इसायस की आवाज में पाते हैं, जो आज भी हमारे लिए ध्वनित होती है, जहाँ हम ईश्वर की सांत्वना को अपने बहुत से भाई-बहनों के संग साझा करने हेतु बुलाये जाते हैं, जो अपने में टूटे, दुःख और दर्द का अनुभव करते हैं। वे जो रोते हैं, उदासी, बीमारी और शोक करते हैं, नबी की वह पुकार ईश्वर की चाह को व्यक्त करती है जो हमारे दुःखों को खत्म करने और उन्हें खुशी में बदलना चाहते हैं। सांत्वना की ये बातें, सुसमाचार भले समारी दृष्टांत में हम देख सकते हैं जो घावों की मलहम पट्टी करता है, यह ईश्वर हैं जो हमारी चिंता करते हैं। अंधेरे के समय में, यहाँ तक उन परिस्थितियों में जो विपरीत लगती है, ईश्वर हमारा परित्याग नहीं करते हैं- बल्कि, अपने जीवन की ऐसी परस्थितियों में हमें बुलाते हैं जिससे हम उनकी निकटता में आशा में बनें रहें, जो हमें कभी नहीं छोड़ते हैं।

मानव की खोज सांत्वना देने वाले की

संत पापा ने कहा कि हम किसी व्यक्ति की खोज करते हैं जो हमें सांत्वना प्रदान करे और बहुधा हमें कोई नहीं मिलता है। कभी-कभी, हमें वे सच्ची आवाजें भी सुनाई नहीं देती हैं जो हमारे दर्द को अपने में साझा करती हो। हम उन परिस्थितियों को पाते हैं जहाँ शब्द हमारे सहायक नहीं होते और वे एकदम अर्थहीन लगते हैं। ऐसी परिस्थितियों में, केवल आंसू रह जाते हैं,लेकिन कभी-कभी वे भी सूख जाते हैं। संत पापा फ्रांसिस की बातों की याद दिलाते हुए संत पापा लियो ने कहा कि वे हमें मरिया मगदलेना के आंसूओं की याद दिलाते हैं, जो भ्रमित येसु के कब्र के पास अकेले होती है। “वह केवल रोती है।” उन्होंने कहा, “हम देखते हैं, कई बार ऐसा होता है कि आँसू हमारे लिए चश्में की भांति होते जिनके द्वारा हम येसु को देखते हैं।” एक क्षण हमारे जीवन में ऐसा भी होता है जहाँ केवल आंसू हमें येसु को देखने हेतु तैयार करते हैं। और उस नारी में हम क्या संदेश पाते हैं। मैंने येसु को देखा है।”

संत पापा लियो का प्रवचन
संत पापा लियो का प्रवचन   (ANSA)

आंसू एक भाषा

प्रिय भाइयो एवं बहनों, आंसू एक भाषा है जो हमारे घायल हृदय की गहरी भावनाओं को व्यक्त करता है। आंसू हमारे लिए करूणा और सांत्वना के एक शांतिमय रूदन को व्यक्त करता है। उससे भी बढ़कर, वे हमारे आंखों को, अनुभूतियों और हमारे विचारों को साफ और शुद्ध करते हैं। हम रोने से शर्मिंदा न हो। यह हमारे लिए अपने दुःख को व्यक्त करने और एक नयी दुनिया की चाह को व्यक्त करता है। रोना हमारी मानवता को व्यक्त करता है जो अपने में कमजोर और परीक्षित है जो खुशी की चाह रखता है।

दर्द में सवाल

संत पापा लियो ने कहा कि जहाँ दर्द है, सवाल अपरिहार्य रुप में यह उठता है, क्यों इतनी अधिक बुराईॽ यह कहाँ से आती हैॽ यह मेरा साथ क्यों हुआॽ अपनी स्वीकृति में संत अगुस्टीन लिखते हैं, “मैंने बुराई के शुरूआत की खोज की... इसकी जड़ें और बीज कहाँ हैंॽ.. ” तब यह कहाँ से आती है चूंकि भले ईश्वर ने सारी चीजों को अच्छा बनाया हैॽ...यह सारे सवाल मेरे नखुश जेहन में विचरन करते हैं... लेकिन मेरे हृदय में विश्वास के लिए सुदृढ़ और निश्चित स्थान था, काथलिक कलीसिया के अंदर, प्रभु येसु ख्रीस्त और मुक्तिदाता में, मैं अपने विश्वास का परित्याग करना नहीं चाहता, यद्यपि बहुत सारे अर्थ में यह विश्वास अपूर्ण और हिचकिचाहट से भरा है।

सांत्वना विश्वास में आधारित है

पवित्र धर्मग्रंथ हमें विश्वास की यात्रा में निर्देशित करता है। हम निश्चित रुप में कई सवालों को पाते हैं जो हमें अपनी ओर अभिमुख करते हैं, हमें अंदर ही अंदर विभाजित और सच्चाई से अलग करते हैं। वे विचारें जो अपने में प्रभावकारी नहीं हैं। यदि वे हमें एकांत में रहने, निराशा की ओर अग्रसर करते तो वे हमारी बुद्धि को कमजोर करते हैं। हमारे लिए यह बेहतर होगा, जैसे कि स्त्रोत हमें कहता है, अपने सवालों, शिकायतों और निवेदनों को विनयों में बदलें क्योंकि ईश्वर ने हमें न्याय और शांति की प्रतिज्ञा की है। इस भांति हम अपने लिए स्वर्ग की ओर सेतु का निर्माण करते हैं, यद्यपि हमें ऐसा प्रतीत होता है मानो हमें कुछ उत्तर नहीं मिल रहा हो। कलीसिया में, हम खुले आकाश की खोज करते हैं, जहाँ येसु मानव और ईश्वर के मध्य सेतु हैं। सांत्वना तब प्राप्त होती है जब हमारा विश्वास मजबूत रहता है “सुदृढ़ और अविचलित” जबकि यह “अव्यवस्थित और अस्थिर” है मानो यह तूफान में एक नाव हो।

सुख और सांत्वना की खोज

बुराई की स्थिति में हम सुख और सांत्वना की खोज करें जिससे हम इस पर काबू पा सकें और हमें कोई हानि न हो। कलीसिया में, इसका अर्थ कभी अकेले होना नहीं है। हम अपना सिर सांत्वना देने वाले के कंधों में रखते हैं, वह जो हमारे संग रोता है और यह हमें शक्ति रुपी औषद्धि प्रदान करती है जिसके बिना हम नहीं रह सकते क्योंकि यह प्रेम की एक निशानी है। जब दुःख गहरा होता है, आशा हमसे मिलन हेतु आती है जो सदैव मजबूत होती है। यह आशा हमें निराश नहीं करती है।

संत पापा लियो की सांत्वना
संत पापा लियो की सांत्वना   (ANSA)

क्षमा में स्वतंत्रता है

संत पापा लियो ने कहा कि हमने जिन साक्ष्यों को सुना है वे एक सत्य को घोषित करते हैं- कि दर्द हिंसा को कभी जन्म न दे और हिंसा अपने में सब कुछ नहीं है, क्योंकि यह प्रेम के द्वारा जीता जाता है जो क्षमा करना जानता है। क्षमा से आने वाली स्वतंत्रता से और बड़ी आशा हम क्या कर सकते हैं। कृपा के माध्यम क्षमा में हृदयों को खोलने की शक्ति है। हिंसा के दुःख को हम मिटा नहीं सकते हैं लेकिन दूसरों को क्षमा देना इस धरती पर ईश्वरीय राज्य की एक अनुभूति प्रदान करती है। यह ईश्वरीय कार्य के फल हैं जो बुराई को दूर कर न्याय स्थापित करते हैं। मुक्ति अपने में करूणा है और यह हमारे लिए एक बेहतर भविष्य को लेकर आती है। केवल ईश्वर ही हमारे हर आँसू को पोछेंगे और हमारे लिए इतिहास की पुस्तिका खोलेंगे, हम उन पन्नों को पढ़ सकेंगे जो आज हमारी समझे से परे हैं।

संत पापा ने कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों, आप सब जिन्होंने हिंसा और अन्याय का सामना किया है, मरियम आपके लिएअपना संदेश दुहराती हैं, “मैं तुम्हारी माता हूँ।”। और येसु आप के हृदयों की गहराई में कहते हैं, “तुम मेरे पुत्र हो, तुम मेरी पुत्री हो।” इस व्यक्तिगत उपहार को जिसे वे हमें देते हैं कोई नहीं छीन सकता है। कलीसिया के कुछ सदस्यों ने आपको चोट पहुंचाया है, हम आपके संग माता मरियम के सामने घुटने टेकते हैं। हम सभी उनके द्वारा संवेदनशीलों की कोमलता में रक्षा करना सीखें। हम आप की घावों को सुनना सीखें और एक साथ चलें। हमें दुःखित माता से शक्ति प्राप्त हो जिससे हम इस बात को अनुभव करें कि जीवन बुराई से केवल परिभाषित नहीं है बल्कि ईश्वर के प्रेम से जो हमारा परित्याग कभी नहीं करते बल्कि सारी कलीसिया का निर्देशन करते हैं।

हमारी सांत्वना दूसरों के लिए

संत पौलुस की बातें हमें इस बात का सुझाव देती है कि जब कभी हमें ईश्वर से सांत्वना प्राप्त होता है, तो हम दूसरों को सांत्वना देने के योग्य होते हैं। वे हमें “दुःखों में सांत्वना प्रदान करते हैं।” प्रेरित लिखते हैं, जिससे हम दूसरों को उनके दुःखों में सांत्वना दे सकें। ईश्वर हमारे हृदय के रहस्यों को जानते हैं, उन्हें अपने को सांत्वना देने से न रोकें।

संत पापा लियोः सांत्वना साझा करें

प्रिय भाइयो एवं बहनों, इस जागरण प्रार्थना के अंत में, आप सभों को छोटा उपहार, ईश्वर का मेमना दिया जायेगा। यह एक निशानी है जिसे आप अपने घर ले जा सकते हैं जो बुराई के ऊपर अच्छाई की जीत की याद दिलाती है- येसु की मृत्यु और पुनरूत्थान का रहस्य। वे वह मेमना हैं जो हमें शांति प्रदान करते हैं, सांत्वनादाता जो हमें कभी नहीं छोड़ते हैं। वे जरुरत की घड़ी में हमें सांत्वना प्रदान करते और हमें अपनी कृपा से मजबूत करते हैं।

हमारे प्रियजन जो मृत्यु में हम से अलग हो गये हैं, अपने में खोये नहीं हैं और उनका अंत नहीं हुआ है। उनका जीवन येसु में संयुक्त है, भला गरेड़िया, उनका आलिंगन करते और उन्हें अपनी निकट रखते हैं। वे उन्हें हमें एक दिन प्रदान करेंगे जिससे हम एक साथ मिलकर अनंत आनंद में खुशी मना सकें।

संत पापा लियो का आशीर्वाद
संत पापा लियो का आशीर्वाद   (ANSA)

व्यक्तिगत और सामाजिक दुःख

प्रिय मित्रों, संत पापा लियो ने कहा कि जैसे कि हम व्यक्तिगत दुःख को पाते हैं वैसे ही हमारे समय में सामूहिक दर्द हैं। पूरी मानवता हिंसा, भूख और युद्ध के भर से ग्रस्ति है और शांति हेतु पुकारती है। यह बृहृद पुकार हमें प्रार्थना करने की चुनौती प्रदान करती है, हिंसा को खत्म करने हेतु कार्य करने और दुःख सह रहे लोगों के लिए शांति की मांग करती है। इससे भी बढ़कर, यह ईश्वर से निवेदन करती है जिनका हृदय करूणा से कंपित होता, उनके राज्य के आने की चाह रखती है। हम अपने इर्दगिर्द रहने वालों को सांत्वना प्रदान कर सकते हैं इस बात को दिखलाते हुए की सच्ची शांति संभव है, और यह हम सभों में विकसित होता है। देशों के नेतागण विशेषरुप से उन निर्दोष बच्चों की पुकार सुनें और उन्हें भविष्य की सुनिश्चितता प्रदान करते हुए उनकी रक्षा करते हुए उन्हें सांत्वना दें।

हठधार्मिकता के मध्य भी, हम इस बात से सुनिश्चित हैं कि ईश्वर हृदयों और हाथों को प्रेरित करेंगे जिससे शांति और सहायता प्रसारित हो सके- शांति स्थापित करने वाले उन्हें सांत्वना प्रदान करें जो दुःख और दर्द की स्थिति में हैं। संत पापा ने अपने प्रवचन के अंत में कहा कि हम एक साथ मिलकर दृढ़ता में  इस बात को घोषित करें जैसे येसु ने हमें सीखाया है, “तेरा राज्य आवे।”

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16 सितंबर 2025, 11:05