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पोप : ईश्वर क्रूस को जीवन के साधन में बदल देते हैं

रविवारीय देवदूत प्रार्थना में पोप लियो 14वें ने पवित्र क्रूस विजय महापर्व पर चिंतन करते हुए कहा कि “ईश्वर के असीम प्रेम” ने “मृत्यु के साधन को जीवन के साधन में बदल दिया।”

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, रविवार, 14 सितम्बर 2025 (रेई) : वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में रविवार 14 सितम्बर को क्रूस विजय महापर्व के अवसर पर संत पापा लियो 14वें ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, शुभ रविवार।

आज कलीसिया पवित्र क्रूस के विजय का महापर्व मनाती है। जिसमें चौथी शताब्दी में येरुसालेम में संत हेलेना द्वारा पवित्र क्रूस की लकड़ी की खोज और सम्राट हेराक्लियस द्वारा पवित्र शहर में कीमती अवशेष की पुनर्स्थापना की याद की जाती है।

संत पापा ने कहा, “लेकिन, आज हमारे लिए इस पर्व को मनाने का क्या मतलब है?

धर्मविधि द्वारा प्रस्तुत सुसमाचार पाठ हमें इसे समझने में मदद करता है। (यो.3,13-17) यह दृश्य रात में घटित होता है: यहूदियों के नेताओं में से एक, निकोदेमुस, एक ईमानदार और खुले विचारोंवाला व्यक्ति, येसु से मुलाकात करने आता है। उसे प्रकाश और मार्गदर्शन की जरूरत है: वह ईश्वर की खोज करता है और नाजरेत के प्रभु से मदद की याचना करता है, क्योंकि वह उनमें एक नबी पहचानता है, एक ऐसे व्यक्ति को जो असाधारण चमत्कार दिखाता है।

प्रभु उसका स्वागत करते हैं, उसे सुनते हैं और अंत में प्रकट करते हैं कि मानव पुत्र को ऊपर उठाया जाना है, ताकि जो कोई उनमें विश्वास करता है उसे अनन्त जीवन प्राप्त हो। (यो. 3,15) और आगे कहते हैं: "क्योंकि ईश्वर ने दुनिया से इतना प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नष्ट न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए" (पद 16)। निकोदेमुस, जो शायद इस समय इन शब्दों का अर्थ पूरी तरह से नहीं समझ पा रहा है, क्रूस पर चढ़ने के बाद, उद्धारकर्ता के शरीर को दफनाने में मदद करने पर निश्चित रूप से समझ पाएगा (यो.19:39): वह समझ जाएगा कि ईश्वर ने मानव को छुड़ाने के लिए मनुष्य बनकर क्रूस पर अपनी जान दे दी।

येसु ने निकोदेमुस से इस बारे में, पुराने नियम की एक घटना को याद करते हुए बात की (गणना 21:4-9), जब रेगिस्तान में इस्राएलियों पर जहरीले सांपों ने हमला किया, तो उन्होंने पीतल के सांप को देखकर खुद को बचाया, जिसे मूसा ने ईश्वर की आज्ञा का पालन करते हुए बनाया और एक खंभे पर रखा था।

संत पापा ने कहा, “ईश्वर ने स्वयं को हमारे सामने प्रकट करके, अपने आपको हमारा साथी, शिक्षक, डॉक्टर, मित्र, यहाँ तक कि हमारे लिए यूखारिस्त में तोड़ी गई रोटी बनकर, हमें बचाया। और इस कार्य को पूरा करने के लिए, उन्होंने मृत्यु के सबसे क्रूर साधनों में से एक का इस्तेमाल किया, जिसका आविष्कार मनुष्य ने क्रूस के रूप में किया था।

इसी कारण से आज हम उसके “विजय” का उत्सव मनाते हैं: उस असीम प्रेम के लिए जिसके साथ ईश्वर ने, उसे हमारे उद्धार के लिए गले लगाया, उसे मृत्यु के साधन से जीवन के साधन में बदल दिया, हमें यह शिक्षा देते हुए कि कुछ भी हमें उससे अलग नहीं कर सकता (रोमियों 8:35-39) और कि उसका प्रेम हमारे किसी भी पाप से अधिक बड़ा है (पोप फ्राँसिस, धर्मशिक्षा, 30 मार्च 2016)।

तो आइए, हम कलवरी में अपने पुत्र के पास उपस्थित माता मरियम की मध्यस्थता से प्रार्थना करें कि उनका उद्धारक प्रेम हममें भी जड़ पकड़े और बढ़े, और हम भी जान सकें कि हम कैसे एक दूसरे के लिए समर्पित हों, जैसे उसने अपने आपको सभी के लिए समर्पित कर दिया।

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14 सितंबर 2025, 12:29