संत पापा ने एशिया में आए तूफ़ान के पीड़ितों के लिए प्रार्थना की
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, सोमवार 29 सितंबर 2025 : धर्मशिक्षकों की जयंती के लिए आयोजित पवित्र मिस्सा समारोह के अंत में और दोपहर की देवदूत प्रार्थना का पाठ करने से पहले, संत पापा लियो 14वें ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित विश्वासियों को संबोधित किया।
संत पापा ने एशिया में आये तूफान से पीड़ित लोगों को याद करते हुए कहा, "एक बहुत शक्तिशाली तूफ़ान" ने कई क्षेत्रों, "विशेष रूप से फिलीपींस, ताइवान द्वीप, हांगकांग शहर, ग्वांगडोंग क्षेत्र और वियतनाम" को प्रभावित किया है। मैं प्रभावित लोगों, विशेष रूप से सबसे गरीब लोगों को अपनी निकटता और पीड़ितों, लापता लोगों, कई विस्थापित परिवारों, कठिनाइयों का सामना करने वाले अनगिनत लोगों, साथ ही बचावकर्मियों और नागर अधिकारियों के लिए अपनी प्रार्थनाओं का आश्वासन देता हूँ।"
संत पापा ने आगे कहा, "मैं सभी को ईश्वर पर भरोसा रखने और दूसरों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए आमंत्रित करता हूँ। प्रभु सभी विपत्तियों पर विजय पाने के लिए शक्ति और साहस प्रदान करें।"
इस वर्ष अब तक का सबसे शक्तिशाली तूफ़ान रागासा, अकेले ग्वांगडोंग में ही 20 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने के लिए मजबूर कर चुका है। व्यापक क्षति, बाढ़, बिजली कटौती और भूस्खलन के कारण फिलीपींस में कम से कम 25 और ताइवान में 14 लोगों की मौत हो गई है।
जॉन हेनरी न्यूमैन कलीसिया के धर्माचार्य होंगे
संत पापा ने कार्डिनल जॉन हेनरी न्यूमैन को कलीसिया के धर्माचार्य (डॉक्टर) की उपाधि प्रदान करने की तिथि की भी घोषणा की, जिसकी घोषणा 31 जुलाई को ही हो चुकी थी।
इस अंग्रेज विद्वान को 19 सितंबर 2010 में संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें ने धन्य घोषित किया और फिर 13 अक्टूबर 2019 में संत पापा फ्राँसिस ने उन्हें संत घोषित किया।
संत पापा लियो 14वें ने कहा कि संत न्यूमैन ने "धर्मशास्त्र के नवीनीकरण और ख्रीस्तीय सिद्धांत के विकास की समझ में निर्णायक योगदान दिया"।
21 फरवरी 1801 को लंदन में जन्मे न्यूमैन 24 वर्ष की आयु में एंग्लिकन पादरी बन गए। 1845 में, उन्होंने काथलिक कलीसिया में प्रवेश करने का अनुरोध किया और दो वर्ष बाद उन्हें पुरोहित नियुक्त किया गया। एक प्रसिद्ध धर्मशास्त्री और दार्शनिक को संत पापा लियो 13वें ने कार्डिनल बनाया था और उन्होंने आदर्श वाक्य चुना: 'कोर एड कोर लोक्विटुर', 'दिल दिल से बोलता है', एक वाक्यांश जो संत फ्रांसिस डी सेल्स से जुड़ा है और जिसे संत पापा फ्राँसिस ने अपने विश्वपत्र डिलेक्सिट नोस (वे हमसे प्यार करता हैं) में संदर्भित किया है।
धर्मशिक्षकों के प्रति कृतज्ञता
इसके बाद संत पापा लियो ने उन सभी लोगों को हार्दिक बधाई दी जिन्हें मिस्सा के दौरान धर्मशिक्षक का पद प्राप्त हुआ था, साथ ही दुनिया भर में कार्यरत सभी लोगों का भी याद करते हुए कहा, “मैं दुनिया भर की कलीसिया में कार्यरत सभी धर्मशिक्षकों को उनकी फलदायी सेवा के लिए शुभकामनाएँ देता हूँ! कलीसिया के प्रति आपकी सेवा के लिए धन्यवाद। आइए, हम उनके लिए प्रार्थना करें, खासकर उनके लिए जो कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं।”
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