संत पापा फिनलैंड ख्रीस्तीय एकतावर्धक प्रतिनिधिमंडल से : 'मसीह मेआशा निराश नहीं करती'
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, सोमवार 20 जनवरी 2025 : संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार को वाटिकन के कनसिस्ट्री भवन में फिनलैंड से आए ख्रीस्तीय एकतावर्धक प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया। संत पापा ने उन्हें बधाई देते हुए कहा कि वे इस वर्ष एक बार फिर संत हेनरिक के पर्व पर ख्रीस्तीय एकतावर्धक प्रतिनिधिमंडल के रूप में रोम आए हैं।
संत पापा ने फिनलैंड के लूथरन, काथलिक और ऑर्थोडॉक्स प्रतिभागियों की ओर से धर्माध्यक्ष मैटी सलोमाकी द्वारा व्यक्त किए गए विचारों और भावनाओं के लिए अपना आभार व्यक्त किया।
संत पापा ने कहा कि 2025 के इस पवित्र वर्ष में, हम "आशा के तीर्थयात्री" के रूप में एक साथ यात्रा कर रहे हैं। विश्वास की इस यात्रा पर, हमें इब्रानियों के पत्र के शब्दों से पुष्टि मिलती है: "हम अपने भरोसे का साक्ष्य देने में अटल एवं दृढ़ बने रहें, क्योंकि जिसने हमें वचन दिया है, वह सत्यप्रतिज्ञ है।" (इब्रानियों 10:23)
कलीसियाओं और कलीसियाई समुदायों के बीच एकता
संत पापा ने कहा कि संत हेनरिक आशा के स्थायी प्रतीक हैं, जिनका पक्का और स्थायी आधार ईश्वर में है। शांति के संदेशवाहक के रूप में, वे हमें शांति के अनमोल लेकिन नाजुक उपहार के लिए प्रार्थना करने में दृढ़ रहने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। साथ ही, फिनलैंड के संरक्षक संत ईश्वर प्रदत्त एकता के प्रतीक हैं, क्योंकि उनका पर्व दिवस विभिन्न कलीसियाओं और समुदायों के ख्रीस्तियों को ईश्वर की स्तुति करने के लिए एक साथ लाता है।
संत पापा ने ‘कपेला सान्ता मारिया’ गायक मंडली को उनके बहुमूल्य सेवा के लिए धन्यवाद दिया जो उनके साथ रोम की तीर्थयात्रा में शामिल है। संत पापा ने कहा कि जो कोई भी गाता है, वह दो बार प्रार्थना करता है!
निचेया धर्मसार, एक असाधारण "विश्वास का स्कोर"
इस संगीतमय स्वर पर, हम कह सकते हैं कि निचेया धर्मसार, जिसे हम सभी साझा करते हैं, विश्वास का एक असाधारण "स्कोर" है। और यह "सत्य की समता" स्वयं येसु मसीह है। वे सत्य के अवतार हैं, सच्चा परमेश्वर और सच्चा मनुष्य, हमारा प्रभु और उद्धारकर्ता। जो कोई भी इस "सत्य की समता" को सुनता है - न केवल कानों से, बल्कि दिल से - वह परमेश्वर के रहस्य से प्रभावित होगा, जो अपने पुत्र के प्रेम के माध्यम से, हम तक पहुँचते हैं। और वह प्रेम उस आशा का आधार है जो निराश नहीं करती! क्योंकि "न तो मृत्यु, या जीवन, न स्वर्गदूत या नरकदूत, न वर्तमान या भविष्य, न आकाश या पाताल की कोई शक्ति और न समस्त सृष्टि में कोई या कुछ, हमें परमेश्वर के प्रेम से अलग कर सकेगी, जो हमें हमारे प्रभु येसु मसीह में मिला है।" (रोमियों 8:38-39) इस प्रेम की गवाही देना ही सभी बपतिस्मा प्राप्त लोगों का आह्वान है।
अंत में संत पापा ने सभी से विश्वास के साथ, अपनी-अपनी भाषा में प्रभु की प्रार्थना का पाठ करने के लिए आमंत्रित किया।
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