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वाटिकन के बम्बिनो जेसु अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मियों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस वाटिकन के बम्बिनो जेसु अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मियों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस 

पोप फ्राँसिस ˸ स्वास्थ्य देखभाल में असमानता की दवाई है भाईचारा

संत पापा फ्राँसिस ने रोगियों के 30वें विश्व दिवस के पूर्व समग्र मानव विकास परिषद द्वारा आयोजित वेबिनार को एक वीडियो संदेश भेजा।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 10 फरवरी 22 (रेई) ˸ संत पापा ने वेबिनार के प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा, "रोगियों के विश्व दिवस ˸ अर्थ, लक्ष्य एवं चुनौतियों" पर वेबिनार में भाग ले रहे सभी सदस्य का अभिवादन करता हूँ जिसका आयोजन समग्र मानव विकास को बढ़ावा देने हेतु गठित परमधर्मपीठीय परिषद द्वारा 30वें विश्व रोगी दिवस के उपलक्ष्य में किया गया है।"

संत पापा ने कहा, "मेरी सोच कृतज्ञतापूर्वक उन लोगों की ओर जाती है जो कलीसिया एवं समाज में उन लोगों के बगल में रहते हैं जो पीड़ित हैं। बीमार होने का अनुभव हमें कमजोर तथा दूसरों की मदद की आवश्यकता महसूस कराता है।" उन्होंने कहा कि "बीमारी जीवन के अर्थ पर सवाल कराता है जिसको हम विश्वास में ईश्वर के सामने लाते हैं।

ख्रीस्त की पीड़ा के सहभागी

हमारे जीवन में नयी और गहरी दिशा खोजते हुए हम तुरन्त उत्तर नहीं पा सकते।" संत पापा जॉन पौल द्वितीय अपने व्यक्तिगत अनुभव से शुरू करते हुए इस रास्ते की तलाश की ओर इशारा करते हैं। यह व्यक्ति का अपने आपकी ओर मुड़ना नहीं है बल्कि इसके विपरीत, महान प्रेम के लिए खुलना है। "यदि व्यक्ति ख्रीस्त की पीड़ा का सहभागी होता है तो यह इसलिए संभव है क्योंकि ख्रीस्त ने अपनी पीड़ा को लोगों के लिए खोला है, क्योंकि अपने मुक्तिदायी पीड़ा में वे स्वयं कुछ अर्थ में सभी मनुष्यों की पीड़ा को बांटनेवाले बन गये हैं।"

विश्वास द्वारा व्यक्ति ख्रीस्त की मुक्तिदायी पीड़ा को समझता है, वह उसे अपनी पीड़ा समझता है, जो नये विचार एवं नये अर्थ द्वारा समृद्ध होता है। हर रोगी के अनुठेपन, उनकी प्रतिष्ठा एवं दुर्बलता को नहीं भूलना चाहिए। वह एक पूर्ण व्यक्ति के रूप में ˸ शरीर, मन, दिल, स्वतंत्रता, इच्छा और आध्यात्मिक जीवन के साथ देखभाल चाहता है जिनको विभाजित नहीं किया जा सकता क्योंकि एक व्यक्ति को बांटा नहीं जा सकता।  

स्वास्थ्य देखभाल में असमानता        

विडंबना यह है कि हम शरीर बचा सकते और मानवता खो सकते हैं। संत जिन्होंने रोगियों की सेवा की उन्होंने प्रभु की शिक्षा का अनुसरण किया ˸ शरीर एवं आत्मा के घावों को चंगा किया, एक साथ शारीरिक एवं आध्यात्मिक चंगाई के लिए प्रार्थना एवं कार्य की।  

इस समय महामारी ने बीमारी को एक वैश्विक घटना के रूप में देखना सिखलाया है  न कि व्यक्तिगत घटना के रूप में, और इसने हमें अन्य तरह के रोग-निदानों पर चिंतन करने हेतु प्रेरित किया है जो मानवता एवं विश्व को भयभीत करता है। व्यक्तिवाद एवं उदासीनता, स्वार्थी होने के तरीके हैं जो दुर्भाग्य से उपभोक्तावादी कल्याण और आर्थिक उदारवाद के समाज में प्रवर्धित हो रहे हैं; और असमानता का परिणाम स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में भी पाया जा रहा है जिसमें कुछ लोग "अति उत्तम" का आनन्द ले रहे हैं, वहीं दूसरे लोग मौलिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस सामाजिक वायरस से चंगा होने के लिए दवाई है, भाईचारा की संस्कृति, जो इस जागरूकता पर आधारित है कि हम सभी एक समान मानवप्राणी हैं, सभी एक बराबर, ईश्वर की संतान हैं। इसी आधार पर सभी लोगों के लिए आवश्यक चिकित्सा प्राप्त हो सकता है पर यदि हम अपनी समानता पर यकीन नहीं करते हैं तो यह संभव नहीं होगा।  

येसु, मानवता के भले समारी

संत पापा ने भले समारी का उदाहण देते हुए कहा, "भले समारी के दृष्टांत को हमेशा अपने मन में रखें। हम याद रखें कि हम डाकुओं के साथी नहीं बनें जिन्होंने व्यक्ति को लूटा और उसे रास्ते पर घायल छोड़ दिया, न ही उन धर्मगुरूओं के समान बनें जिन्होंने उसे देखा और अपने रास्ते पर आगे बढ़ गये।"

कलीसिया, येसु मानवता के भले समारी, का अनुसरण करते हुए पीड़ित लोगों की हमेशा सेवा की है, बीमारों के लिए अपने व्यक्तियों और आर्थिक संसाधन उपलब्ध किये हैं।

संत पापा ने विकासशील देशों में दवाखानों एवं स्वास्थ्य देखभाल के ढांचे पर गौर करते हुए कहा, "मैं बहुत सारी मिशनरी धर्मबहनों एवं धर्मबंधुओं की याद करता हूँ जिन्होंने सबसे गरीब बीमारों की सेवा करते हुए अपनी जान दे दी है।" संत पापा ने उन धर्मी लोगों की भी याद की जिन्होंने अपने साथियों के साथ स्वास्थ्य देखभाल पहल जारी किया है एवं धर्मसमाजों की स्थापना की है। यह समग्र मानव देखभाल के लिए एक बुलाहट एवं मिशन है जिन्हें आज अपने कैरिज्म में नवीनता लानी है ताकि पीड़ितों के प्रति सामीप्य में किसी प्रकार की कमी न हो।  

बीमार व्यक्तियों के करीब रहनेवालों के प्रति आभार  

संत पापा ने उन लोगों के प्रति आभार प्रकट किया है जो अपने जीवन और कार्य से हर दिन बीमार व्यक्ति के करीब रहते हैं। रोगियों के रिश्तेदार और मित्र जो प्रेम से उनकी मदद करते हैं एवं उनके आनन्द, आशा, दुःख एवं चिंता के सहभागी होते हैं।

संत पापा ने डॉक्टरों, नर्सों, दवाखाना में काम करनेवालों और स्वास्थ्य देखभाल, अस्पताल की प्रेरिताई में समर्पित पुरोहित, रोगियों की सेवा में संलग्न धर्मसमाजी संस्थाओं और बहुत सारे स्वयंसेवकों के प्रति उनके कार्यों के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने उन्हें अपनी प्रार्थनाओं का आश्वासन दिया ताकि प्रभु उन्हें रोगियों को सुनने, धीरज रखने, पूरे शरीर एवं आत्मा से उनकी देखभाल करने की शक्ति प्रदान करे।

संत पापा ने अंत में विश्व के सभी रोगियों के लिए प्रार्थना की, खासकर, उनके लिए जो अकेले हैं और जिन्हें स्वास्थ्य देखभाल की सुविधा तक पहुँचना संभव नहीं है। उन्होंने सभी को स्वस्थ की रानी माता मरियम को सिपूर्द किया तथा रोगियों की देखभाल करनेवालों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।  

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10 फ़रवरी 2022, 16:20
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