कैदियों की जयन्ती पर ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा लियो 14वें कैदियों की जयन्ती पर ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा लियो 14वें  (ANSA)

कलीसिया के केंद्र में : ऐतिहासिक जुबली पर एक पूर्व कैदी का चिंतन

कैदियों के लिए आयोजित आशा की जयन्ती में हिस्सा लेनेवाले एक पूर्व कैदी ऐतिहासिक जुबली को कलीसिया के केंद्र में सबको साथ लेकर चलने की एक मजबूत चिन्ह के रूप में देखते हैं।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 16 दिसंबर 2025 (रेई) : जोशुआ स्टैंसिल के लिए, कैदियों की जुबली के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजाघर में होना एक ऐसा अनुभव है जिसके बारे में उन्होंने कभी नहीं सोचा था।

उन्होंने कहा, "उत्तरी करोलिना की एक जेल कोठरी में बैठे हुए, मुझे कभी नहीं लगा था कि दशकों बाद मैं यहाँ संत पेत्रुस महागिरजाघर में कैदियों के लिए खास तौर पर आयोजित ख्रीस्तयाग में शामिल होऊंगा।"

स्टैंसिल अमेरिका में काथलिक जेल प्रेरिताई संघ के सक्रिय सामग्री प्रबंधक हैं और लिविंग विद कन्विक्शन्स के संस्थापक हैं, जो जेल से समाज में वापस आनेवाले पुरुषों को समर्थन और सहायता सामग्री प्रदान करता है। 2014 में रिहा होने से पहले उन्होंने 18 साल जेल में बिताए थे।

रविवार को वे दुनियाभर के तीर्थयात्रियों के साथ पहली बार जुबली समारोह में शामिल हुए, जो खास तौर पर कैदियों के लिए था। वे इस कार्यक्रम को ऐतिहासिक और गहराई से व्यक्तिगत बताते हैं।

“छोड़कर नहीं, बल्कि पूरी तरह से शामिल”

स्टैंसिल ने वाटिकन न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि गौदेते रविवार को मनायी गयी कैदियों की जुबली उन लोगों के लिए एक मजबूत संदेश था जिन्होंने जेल का अनुभव किया है। उन्होंने कहा कि यह कई पुराने कैदियों के एक हमेशा रहनेवाले जख्म : हमेशा के लिए कलंक लगने के एहसास को भरनेवाला है।

पूर्व कैदी ने कहा, “जब आप जेल से बाहर आते हैं, कम से कम अमेरिका में, तो आपको रेडियोएक्टिव महसूस होता है।” “जैसे आपके माथे पर कोई निशान हो जिस पर लिखा हो ‘अभी जेल से रिहा हुए हो।’ भले ही कोई इसे देख न पाए, आप इसे महसूस करते हैं—और आपको लगता है कि आपको कभी भी पूरी तरह से वापस आने की इजाजत नहीं मिलेगी, कलीसिया में भी नहीं।”

उन्होंने कहा कि जुबली उस नजरिये का साधे सामना करती है। इसके द्वारा “हमें न सिर्फ यह बताया जा रहा है कि हम शामिल हैं, बल्कि यह भी कि हम यहीं शामिल हैं, कलीसिया के केंद्र में, किसी अलग जगह पर नहीं।”

स्टैंसिल ने कहा कि जुबली के लिए पारंपरिक रूप से खुशी से भरे गौदेते रविवार का चुनाव खास रूप से महत्वपूर्ण था।

उन्होंने कहा, “इससे ज्यादा खुशी की बात और क्या हो सकती है कि आपको बताया जाए कि आपको बहिष्कृत नहीं गया है, और आपकी नई शुरुआत सच में एक नई शुरुआत है?”

मुलाकात, प्रोग्राम नहीं

जेल में बिताए अपने सालों के बारे में सोचते हुए, स्टैंसिल कहते हैं कि आध्यात्मिक विकास अक्सर संस्थागत अभिप्राय के बजाय व्यक्तिगत मुलाकात पर निर्भर करते हैं।

उन्होंने बताया कि “सरकारी जेलों में धर्म को लेकर बहुत शक होता है।” “अगर आपको कोई असली आध्यात्मिक तरक्की महसूस होती है, तो यह आमतौर पर इसलिए होता है क्योंकि आप किसी ऐसे व्यक्ति से मिलते हैं, जो कोई स्वयंसेवक हो, कोई पुरोहित, कोई चैपलिन, कोई धर्मबहन हो, जो बार-बार आता है।”

उनके लिए, यह मुलाकात अचानक हुई, जब एक काथलिक लोकधर्मी आंदोलन का सदस्य उनसे नियमित मुलाकात करने लगा।

उन्होंने कहा, “जेल में यदि कोई चीज आपको सच में बदलती है, तो वह कोई कार्यक्रम या परियोजना नहीं है।” बल्कि “यह उन लोगों से मिलना है जो खुद ख्रीस्त द्वारा बदले गए हैं।”

यही यकीन अब काथलिक जेल प्रेरिताई संघ के साथ उनके काम को दिशा देता है, जो पूरे अमेरिका में जेल प्रेरिताई को समर्थन और बढ़ावा देना चाहता है।

स्टैंसिल ने संत मती. 25 में येसु के शब्दों को याद करते हुए कहा, “मैं बंदीगृह में था, और तुम मुझसे मिलने आए।” जेल की प्रेरिताई अक्सर दया का भुला दिया गया काम है।

कलंक को चुनौती देना, मुक्ति का जीवन जीना

सालों पहले अपनी सजा पूरी करने के बावजूद, स्टैंसिल मानते हैं कि कलंक आसानी से खत्म नहीं होता।

उन्होंने कहा, "मुझे अब भी यह महसूस होता है। अक्सर ऐसा लगता है कि आपके प्रायश्चित का एक हिस्सा बस दूर रहना है कि आप अब कभी पूरी तरह से शामिल नहीं हो सकते।"

फिर भी, उनके खुद के दोबारा जुड़ने की पहचान बिना शर्त दोस्ती से हुई। उन्होंने कहा, "किसी ने मुझसे कभी नहीं पूछा कि क्या मैंने काफी पछतावा किया है।" "दोस्ती बस पेश की गई थी, और इससे सब कुछ बदल जाता है।"

यही सिद्धांत उनके छोटे गैर-सरकारी संगठन, लिविंग विद कन्विक्शन्स (यकीन के साथ जीना) को निर्देशित करता है, जो जेल की लंबी सजा के बाद समाज में वापस आनेवाले पुरुषों की मदद करते हैं।

उन्होंने समझाया, “ये वे लोग हैं जिन्होंने दशकों अंदर बिताए हैं।” “इससे एक तरह की सीखी हुई लाचारी आती है। स्मार्टफोन इस्तेमाल करने जैसी मौलिक चीजें भी नई हैं।”

कलीसिया का विश्वव्यापी होना

घर लौटते समय, स्टैंसिल कहते हैं कि जुबली की सबसे बड़ी छाप कलीसिया का विश्वव्यापी होना है।

उन्होंने कहा, “मैंने अपनी जिंदगी में इतने सारे जाति, भाषा, संस्कृति के लोगों को कभी नहीं देखा था।” “और अब, कैदी भी, दुनियाभर के ऐसे पुरुष और महिलाएँ जो गिर गए हैं और लौट रहे हैं।”

उनके लिए, कैदियों की जुबली न सिर्फ उन लोगों के लिए उम्मीद की निशानी है जो जेल में हैं या हाल ही में रिहा हुए हैं, बल्कि पूरी कलीसिया के लिए एक याद दिलानेवाली बात है।

उन्होंने कहा, “कैदियों के लिए उम्मीद का संदेश अंततः सभी के लिए उम्मीद का संदेश है।”

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16 दिसंबर 2025, 16:24