2025.05.10 एड टू द चर्च इन नीड फाऊंडेशन काथलिक कलीसिया का एक उदार संगठन 2025.05.10 एड टू द चर्च इन नीड फाऊंडेशन काथलिक कलीसिया का एक उदार संगठन  (CC ATTRIBUTE)

एड टू द चर्च इन नीड लोगों की पीड़ा में हर जगह उपस्थित

परमधर्मपीठीय फाउंडेशन एड टू द चर्च इन नीड (एसीएन) सताए गए ख्रीस्तीयों और युद्ध के पीड़ितों की सहायता के लिए नई पहल शुरू कर रहा है।

फादर पावेल रायटेल-एंड्रियानिक और करोल डार्मोरोस

परमधर्मपीठीय फाउंडेशन एड टू द चर्च इन नीड की पोलिश शाखा वर्तमान में सीरिया, लेबनान, नाइजीरिया, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, पवित्र भूमि और यूक्रेन में मानवीय परियोजनाओं का विकास कर रही है।

वाटिकन न्यूज़ से बात करते हुए, इसके निदेशक, फादर प्रो. जान विटोल्ड ज़ेलाज़नी ने फाउंडेशन के निरंतर प्रयासों और प्रतिबद्धता का विवरण दिया।

एड टू द चर्च इन नीड उन जगहों पर सहायता पहुँचाने के अपने मिशन को जारी रखे हुए है जहाँ लोग युद्ध और उत्पीड़न से पीड़ित हैं। फादर ज़ेलाज़नी ने कहा, "हम उन जगहों पर मौजूद रहना चाहते हैं जहाँ एड टू द चर्च इन नीड पहले से ही काम कर रहा है। हम इन लोगों को अब बिना सहारे के नहीं छोड़ सकते।"

आने वाले हफ़्तों में, फ़ाउंडेशन के प्रतिनिधि सीरिया और लेबनान का दौरा करने की योजना बना रहे हैं, जहाँ संगठन वर्षों से ख्रीस्तीय समुदायों का पुनर्निर्माण कर रहा है।

10 अक्टूबर को, एड टू द चर्च इन नीड के प्रतिनिधियों ने वाटिकन में पोप लियो 14वें से मुलाकात की, जिन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता पर उनकी रिपोर्ट प्राप्त की और संगठन की प्रतिबद्धता के लिए आभार व्यक्त किया।

पोप ने आश्वासन दिया कि कलीसिया अपने उत्पीड़ित विश्वासियों के साथ खड़ी है। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि "धार्मिक स्वतंत्रता केवल एक अधिकार या विशेषाधिकार नहीं है; यह एक ऐसा आधार है जो वास्तविक मेल-मिलाप को संभव बनाता है।"

सुदूर क्षेत्रों में परियोजनाएँ

चर्च इन नीड की सहायता के वर्तमान प्रयासों में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और नाइजीरिया में परियोजनाएँ शामिल हैं। "ये ऐसे स्थान हैं जहाँ लोग हिंसा और प्राकृतिक संसाधनों के लिए संघर्ष के कारण पीड़ित हैं, जो उस भूमि के लिए अभिशाप और वरदान दोनों हैं। यह नाइजीरिया के लिए हमारी सहायता परियोजनाओं से भी संबंधित है। फादर ज़ेलाज़नी ने ने कहा, “पोलैंड में हमारा एकजुटता दिवस विशेष रूप से नाइजीरिया को समर्पित होगा।"

पोलैंड आनेवाले लोगों में बिशप जॉन बेकेनी भी शामिल हैं, जो उन पुरोहितों में से एक हैं जिन्हें मसीह में अपने विश्वास के लिए मृत्युदंड का सामना करना पड़ा था।

यह संगठन बेथलहम में भी मौजूद है, जहाँ इसके स्वयंसेवक युद्ध से पीड़ित बच्चों की देखभाल में संत एलिजाबेथ की धर्मबहनों की सहायता करते हैं।

चर्च इन नीड के पोलिश अनुभाग के निदेशक ने स्वीकार किया, "इस सहायता के बिना, मध्य पूर्व में ईसाई धर्म नष्ट हो जाएगा।"

यूक्रेन में भी सहायता पहुँच रही है - मुख्यतः ओडेसा और आसपास के क्षेत्रों में - मौजूदा खतरों के बावजूद।

फादर ज़ेलाज़नी ने कहा, "अपनी गतिविधियों में, हम कलीसिया की शिक्षाओं को व्यवहार में लाते हैं, जिसमें गरीबों के प्रति प्रेम पर हाल ही में प्रकाशित उपदेश "दिलेक्सी ते" भी शामिल है।"

किसकी सहायता करें

फाउंडेशन पोलैंड में भी एक परियोजना चला रहा है, जिसके तहत उन मठों की सहायता की जा रही है जिन्होंने अपनी संपत्ति खो दी है।

फादर ज़ेलाज़नी ने कहा, "हम प्रति व्यक्ति दान भेजते हैं और उन मठों की सहायता करते हैं जिनके पास आजीविका का कोई साधन नहीं है (...) धर्मबहनें हमें बताती हैं कि यह बहुत महत्वपूर्ण और ठोस मदद है।"

"एड टू द चर्च इन नीड" के पोलिश अनुभाग के प्रमुख ने आश्वासन दिया कि सभी दानराशि का उपयोग ईमानदारी और पारदर्शिता से किया जाएगा। पोलैंड में स्थित पोंटिफिकल फाउंडेशन अफ्रीका और एशिया से पुरोहित वर्ग के प्रशिक्षण का भी समर्थन करता है।

फादर ज़ेलाज़नी ने बतलाते हुए कहा, "कैमरून में, एक बिशप ने मुझसे कहा: 'फादर, अगर आप मुझे 600 यूरो और दें, तो मैं एक और सेमिनरी छात्र को स्वीकार कर सकता हूँ।' हम बुलाहटों की कमी की शिकायत करते हैं, जबकि वह मुझसे कहते हैं कि सेमिनरी में उनके द्वारा प्रवेश पानेवाले उम्मीदवारों की संख्या हमारे द्वारा प्रदान की जानेवाली सहायता पर निर्भर करती है। यह दर्शाता है कि स्थानीय और यहाँ, दोनों ही स्तरों पर पुरोहिती प्रशिक्षण कितना महत्वपूर्ण है।"

एक संदेश जो कार्य का आह्वान करता है

वाटिकन में मुलाकात के दौरान, पोप ने याद दिलाया कि "एड टू द चर्च इन नीड" का कार्य द्वितीय विश्व युद्ध के अनुभव से उत्पन्न हुआ था। फादर ने कहा कि यह "घावों को भरने और शांति के लिए हाथ बढ़ाने" हेतु मदद की पेशकश करने के बारे में है। इसी दृष्टिकोण से हमारे मिशन का जन्म हुआ - क्षमा की नींव - एक ऐसा प्रेम जो न केवल गरीबी के समय में मदद करता है, बल्कि क्षमा करना भी सिखाता है।"

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14 अक्तूबर 2025, 16:52