बिशप जोजो: कॉन्सटेंट लिवन्स हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर को एक विशेष राह पर ले जाना है
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, मंगलवार, 30 अक्टूबर 2025 (वाटिकन न्यूज हिन्दी) : भारत में जब भी कोई व्यक्ति गंभीर बीमारी से ग्रसित होता है, तो लोग उसे वेल्लोर ले जाना चाहते हैं, क्योंकि वेल्लोर किसी भी बीमारी से चंगाई पाने की अंतिम उम्मीद समझी जाती है।
क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर, तमिलनाडु के वेल्लोर में स्थित, एक गैर-सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान है जिसकी स्थापना वर्ष 1900 में हुई थी। आज यह देश के शीर्ष शैक्षणिक, स्वास्थ्य सेवा और अनुसंधान संस्थानों में से एक है। उसी तरह सेंट जॉन्स मेडिकल कॉलेज बैंगलोर भी है जहाँ 72 पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। लेकिन बहुतों के लिए इन सुविधाओं तक पहुँचना आसान नहीं होता।
भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (सीबीसीआई) ने लोगों की इसी आवश्यकता को देखते हुए और इसे पूरा करने के मकसद से यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सीबीसीआई ने हजारीबाग धर्मप्रांत के बिशप आनन्द जोजो, को कॉन्सटेंट लिवन्स हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर का चेयरमैन नियुक्त किया है। जो इस जिम्मेदारी को गंभीरता से लेते हुए काम आगे बढ़ा रहे हैं।
धर्माध्यक्ष आनन्द जोजो ने वाटिकन रेडियो के साथ एक साक्षात्कार में अपनी नई जिम्मेदारी; कॉन्सटेंट लिवन्स हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के निर्माण कार्य एवं इससे संबंधित कई अहम जानकारियाँ साझा कीं।
बिशप आनन्द जोजो : अभी की आवश्यकता है कि हम कॉन्सटेंट लिवन्स हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर को एक विशेष राह पर ले चलें। वास्तव में यह हमारे महामहिम कार्डिनल तेलेस्फोर पी. टोप्पो का सुन्दर विचार था कि जिस तरह दक्षिण भारत में संत जोन्स मेडिकल कॉलेज है जो पूरे दक्षिण भारत के लोगों के लिए विशेष मौका दे रहा है। उसी तरह उत्तर भारत में भी हमारे उत्तर भारत के लोगों के लिए, विशेषकर झारखंड और अगल-बगल के जितने भी राज्य हैं आदिवासी और कमजोर वर्ग के लोगों को उस तरह का चिकित्सा सुविधा देना, साथ ही साथ मेडिकल शिक्षा अर्थात् हमारे आयुर्वेदिक विज्ञान की शिक्षा देकर उन्हें जीवन में आगे बढ़ाना, आगे बढ़ने का मौका देना और हमारे लोगों को बीमारी की हालत में सेवा देने के लिए तैयार करना। उसी विचार को मैं अभी आगे बढ़ाने का काम कर रहा हूँ। इसमें बहुत सारी आवश्यकताएँ हैं, खासकर, यह अस्पताल हॉली फैमिली अस्पताल के रूप में जाना जाता था। लेकिन 2009 में यह तय किया गया कि इस क्षेत्र में संत जॉन्स के समान एक अस्पताल हो, इसी तरह का एक संस्थान हो, जहाँ हमारे लोगों को उस तरह की सुविधा दी जा सके।
उस समय हॉली फैमिली अस्पताल मांडर जो एमएमएस मेडिकल मिशन सिस्टरों के प्रबंधन में था, उन्होंने सोचा कि इस पूरे अस्पताल को सीबीसीआई के लिए दे दिया जाए और उन्होंने उसे हस्तांतरित कर दिया। यह कार्य वास्तव में 2015 से ठोस रूप लेने लगा। और उसको (पुराने अस्पताल को) मरम्मत किया गया। और यह अस्पताल जो 150 बेड का था उसमें अभी भी सेवा कार्य जारी है लेकिन उसमें और अधिक सुविधा देने के लिए बड़े हॉस्पिटल की जरूरत है। और उसी के लिए हम यूरोप के दौरे पर हैं। ताकि हम हमारे जितने भी फंडिंग एजेंसी हैं उनसे सलाह लें और अर्जी भी करें कि वे इस कार्य में हमारी मदद करें। अभी हॉस्पिटल का विस्तार होनेवाला है जिसमें 300 बेड होने का सपना है। उसकी नींव डाल दी गई है लेकिन काम शुरू करने के लिए फंड की जरूरत है। मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया का शर्त है कि हम जब तक 300 बेड नहीं होंगे तब तक मेडिकल कॉलेज नहीं खोला जा सकता है। इसके साथ-साथ नर्सिंग कॉलेज को भी अपग्रेड करना है। पहले एमएमएस की धर्मबहनों ने एक स्कूल तो रखा था जिसमें जीएएनएम नर्स की ट्रेनिंग होती थी। लेकिन अभी जरूरत के अनुसार इसे बीएससी नर्सिंग कॉलेज के रूप में बनाना है। और उस काम को भी हमें संभालने की आवश्यकता है। यदि ये दोनों बीएससी नर्सिंग एवं 300 बेड तैयार हो जायेंगे। तो हम स्वतः ही मेडिकल कॉलेज के लिए क्वालिफाई करते हैं। इन्हीं कार्यों को ठोस रूप देने के लिए मैं यूरोप के दौरे पर हूँ। और इसी क्रम में रोम भी आया और इस समय वाटिकन रेडियो में उपस्थित हूँ।
इस योजना में कितनी सफलता मिली है और काम कितना आगे बढ़ा है?
बिशप आनन्द जोजो : हमने जमीन की समस्या को ठीक कर लिया है। डॉक्टरों और नर्सों के लिए आवास निर्माण हो चुका है। इसके साथ साथ जो नर्सिंग स्कूल था उसे बढ़ाकर बीएसी नर्सिंग स्कूल के रूप में तैयार कर रहे हैं। अभी जरूरत है बेड बढ़ाने की। 300 बेड बनाने का सपना है जिसको कुछ हद तक क्रियान्वित भी किया गया है। नींव डाला जा चुका है लेकिन फंड की कमी के कारण उसे आगे बढ़ाया नहीं जा पा रहा है, इसलिए मैंने हमारे जितने भी सहयोगी हैं, विशेषकर, फंडिंग एजेंसीस से मिलकर उनसे बात किया है। और आशा करता हूँ कि वे हमारी मदद करेंगे। वहाँ के जितने धर्माध्यक्ष हैं सीआरआई के मेजर सुपीरियर्स हैं, पुरोहित, धर्मसमाजी और भाईबहनें, सभी इससे अच्छी तरह परिचित हैं। सभी कोई अपने-अपने तरीके से सहयोग देने के लिए तैयार हैं।
जैसे आपने कहा कि फंडिंग एजेंसीस एवं स्थानीय कलीसिया से भी सहयोग मिलने की उम्मीद है, लेकिन स्थानीय कलीसिया से और क्या उम्मीद करते हैं इस काम को आगे बढ़ाने के लिए?
बिशप आनन्द जोजो : स्थानीय कलीसिया से मूल रूप से मैं यही उम्मीद करता हूँ, सबसे पहले उन्हें सूचना अच्छी तरह प्राप्त हो कि इस तरह भविष्य में हमारे लिए सुविधा होने जा रहा है। दूसरा कि वे उसके लिए प्रार्थना करें। ईश्वर की दया से अभी हमारे लोग न केवल विश्वास में, बल्कि एकता में, सांस्कृतिक विरासत में बढ़ रहे हैं और आर्थिक रूप से भी हमलोग धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन मैं महसूस करता हूँ कि वे न केवल प्रार्थना बल्कि आर्थिक रूप से भी इस योजना में शामिल हों। इसके लिए चाहिए कि हम उनको प्रोत्साहित करें, उनको प्रेरणा दें, और काम में सहभागी होने के लिए निमंत्रण दें।
हॉस्पिटल होगा तो मरीजों की देखभाल निश्चित रूप से होगी और इसके अलावा स्थानीय कलीसिया को क्या लाभ मिलेगा?
बिशप आनन्द जोजो : जैसे कि हमारे महामहिम कार्डिनल ने स्वप्न देखा था कि इसके द्वारा हमारे आदिवासी समुदाय का जो इमेज (छवि) है उसमें निखार आयेगा, इसमें हमारी अपनी ही बेटियाँ बढ़ेंगी, नर्स के रूप में और मेडिकल स्टूडेंट के रूप में भी। और इस तरह वे डॉक्टर और नर्स बनेंगे। वे एक मेडिकल कर्मचारी के रूप में कार्य करेंगे। वे अपने ही लोगों की सेवा के लिए तैयार होंगे। अपने लोगों की सेवा अपने ही लोगों के द्वारा होगा। इस तरह का सुन्दर विचार महामहिम कार्डिनल टोप्पो ने दिया, उसको महसूस करते हुए हम उसी ओर इस मेडिकल कॉलज को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
हॉस्पिटल बनने में कौन-कौन सी बाधाएँ हैं?
बिशप आनन्द जोजो : इसमें मैं महसूस करता हूँ कि ईश्वरीय शक्ति तो है, ईश्वरीय आशीर्वाद भी है लेकिन उसे प्रभावी रूप से अनुभव करने के लिए एक मन और एक हृदय के होने की आवश्यकता है। ईश्वर के साथ एक मन और एक हृदय क्योंकि यह उन्हीं की योजना है, साथ ही साथ हमारे लोगों के साथ भी। हमारे पूरे भारत वर्ष के धर्माध्यक्ष, सी. आर. आई. सदस्य और लोकधर्मी सब के सब एक मन-हृदय हो जायेंगे, तो ये काम आसानी से हो जायेगा। ऐसा मेरा विश्वास है और उसी विश्वास के बल पर मैं अगुवाई कर रहा हूँ। मैं तो एक माध्यम हूँ करनेवाले तो स्वयं ईश्वर हैं।
कॉन्सटेंट लिवन्स हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में निम्नलिखित विभाग उपलब्ध होंगे :
- सामान्य एवं लेप्रोस्कोपिक सर्जरी
- प्रसूति एवं स्त्री रोग
- सामान्य दवाई
- हड्डी रोग
- एनेस्थिसियोलॉजी
- पेडियाट्रिक्स
- नेत्र चिकित्सा
- दंत चिकित्सा
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