“आभास” मिलन समारोह में गूँजा, आशा के मिशनरी बनने का आह्वान

रोम में अखिल भारतीय आदिवासी समुदाय (आभास) का मिलन समारोह 19 अक्टूबर को बड़े ही अर्थपूर्ण एवं व्यवस्थित ढंग से सम्पन्न हुआ। माननीय बिशप आनन्द जोजो ने प्रतिभागियों को न केवल आशा के मिशनरी बनने, बल्कि एकता और सहयोग की भावना बढ़ाने का प्रोत्साहन दिया।

वाटिकन न्यूज

रोम, सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 (वाटिकन न्यूज हिन्दी) : “आभास” मिलन समारोह के इतिहास में यह एक ऐतिहासिक और अविस्मरणीय दिन रहा, जब रोम और इसके आसपास के क्षेत्रों से कुल 117 आदिवासी भाई बहनों ने अपनी सहभागिता दर्ज कर अपने समुदाय एवं संस्कृति के प्रति स्नेह, एकजुटता एवं गर्व की भावना का सुन्दर परिचय दिया।

आभास मिलन समारोह के कार्यक्रम

मिलन समारोह का मुख्य उद्देश्य था, नये सदस्यों का स्वागत। इस दिन के आकर्षणों में पवित्र मिस्सा बलिदान, विशिष्ट अतिथियों का सम्मान, अखिल भारतीय आदिवासी समुदाय का परिचय, सामूहिक प्रतिभोज एवं आनन्दमय सांस्कृतिक नृत्य शामिल थे। मुख्य अतिथियों में, हजारीबाग धर्मप्रांत के माननीय बिशप आनन्द जोजो, सीसीबीआई के बायो एथिक्स कमीशन के सेक्रेट्री श्रद्धेय फादर चार्ल्स डेविस और समाज सेवी (खासकर, भारतीयों के लिए) मैडम सुनजा की उपस्थिति ने समारोह की शोभा और उल्लास को चार चांद लगा दी।

कार्यक्रम की शुरूआत ‘आभास’ के अध्यक्ष फादर विजय टोप्पो ने प्रतिभागियों का नये शैक्षणिक वर्ष में स्वागत करके की। उन्होंने याद दिलाया कि कलीसिया के लिए यह एक विशेष दिन है, जब यह विश्व मिशन रविवार और नये संतों की घोषणा का समारोह मना रही है।

मिशन रविवार का आह्वान

इसके बाद, मिलन समारोह के केंद्रबिन्दु पवित्र मिस्सा को मुख्य अनुष्ठाता हजारीबाग के धर्माध्यक्ष माननीय आनन्द जोजो ने आगे बढ़ाया। उन्होंने अपने उपदेश में आशा के मिशनरी बनने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, “आज हमलोग मिशन रविवार के दिन यहाँ जमा हुए हैं, शायद ईश्वर की ही इच्छा रही, जिसको हम सभी एक बहुत बड़े चिन्ह के रूप में समझ सकते हैं।”

इस वर्ष के मिशन रविवार की विषयवस्तु लोगों के बीच आशा के मिशनरी बनना को सामने रखते हुए उन्होंने कहा कि इस विषयवस्तु को न केवल मिशन रविवार को लेकिन सालभर चिंतन करने की आवश्यकता है।

दुनिया की वर्तमान स्थिति पर गौर करते हुए धर्माध्यक्ष ने कहा, “हम जहाँ कहीं भी हैं देख सकते हैं, सर्वत्र अशांति का माहौल है। शांति है भी लेकिन उसका प्रतिशत बहुत कम है। अलगाववाद, लड़ाई-झगड़े, हिंसा, सब कुछ हो रहा है इसलिए लोगों को जीवन के प्रति कम भरोसा है। बहुत लोग ऊब चुके हैं और उन्हें लगता है कि इस दुनिया में जीना बेकार है। ऐसी परिस्थियों में हमारे संत पापा लियो का आह्वान है कि हम लोगों के बीच आशा के संदेशवाहक और मिशनरी बनें, ताकि वे जीवन के महत्व को समझते हुए उसके प्रति साकारात्मक सोच पैदाकर सकें।”

येसु ख्रीस्त में ही आशा

पाठ पर चिंतन करते हुए उन्होंने कहा कि येसु ख्रीस्त में ही आशा है क्योंकि वे पुनर्जीवित प्रभु हैं, हर प्रकार के बुराइयों, पापों और समस्याओं से विजय पाते हुए जी उठे हैं। इसलिए हमें उन्हीं जीवित प्रभु पर भरोसा रखते हुए दूसरों को भी वही आशा देने की आवश्यकता है। इसलिए मिशन रविवार हमें एक धर्माध्यक्ष, पुरोहित, धर्मसंघी और लोकधर्मी के रूप में ख्रीस्त की आशा और उनके प्रेम को बांटने के लिए प्रेरित करता है।

प्रभु येसु के शब्दों की याद दिलाते हुए बिशप जोजो ने कहा, “सुसमाचार में येसु कहते हैं संसार के कोने-कोने में जाकर सारी सृष्टि को सुसमाचार सुनाओ।” उन्होंने कहा कि सारी सृष्टि को सुसमाचार सुनाना कलीसिया का मूल कर्तव्य है। जिसको करते हुए हम आज्ञाकारी पुत्र और पुत्री बनते हैं।

छोटानागपुर में मिशनरियों का योगदान

छोटानागपुर में मिशनरियों के योगदान की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि आज हम याद करते हैं कि कलीसिया ने हमारे लिए क्या किया है। “अगर कलीसिया नहीं होती, मिशनरी नहीं होते तो शायद आज हमारी स्थिति वैसी ही रहती, जैसे हमारे बाप-दादों ने जीया।” उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इस बात को गहराई से महसूस करना, खासकर, हम समर्पित लोगों के लिए बहुत जरूरी है। मिशनरियों ने बेल्जियम से, अमरीका से या अन्य जगहों से प्रभु के संदेशवाहक के रूप में आकर अपना काम पूरा किया। ईश सेवक फादर कॉन्सटंट लिवन्स एवं शुरू के अन्य मिशनरियों ने नदी-नाला जंगल-झाड़ में घूम-घूम कर मिशन का काम पूरा किया, लेकिन अब मिशनरी हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने आभास के भाई-बहनों के सामने चुनौती रखते हुए कहा, “हमारे क्षेत्र में मिशनरी कौन होंगे ये बहुत बड़ा सवाल है।”

“आग जलती रहे”

ईश सेवक फादर कॉन्सटंट लिंवस के आदर्शवाक्य “आग जलती रहे” से प्रेरणा लेने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि आज मिशनरी न बाहर से और न देश के दूसरे हिस्से से हमारे बीच आयेंगे, इसलिए इस लौ को हमें अपने लिए ले सकना चाहिए। इस दृष्टिकोण को आज हम सभी को याद रखने की जरूरत है।

मिशन रविवार को घोषित 7 नये संतों का उदाहरण देते हुए उनके समान प्रभु के सच्चे मिशनरी बनने के आह्वान के साथ उन्होंने कहा, “आज हमारे क्षेत्र के लिए मिशनरी कौन होगा? मैं यह सवाल आपके सामने रखता हूँ क्योंकि आज इसी की जरूरत है।”

उन्होंने कलीसिया के लिए ठोस योगदान देने की आवश्यकता बतायी तथा उसे साकार करने के उपाय के रूप में कॉन्सटंट लिवंस हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर के निर्माण की बात कही, जिसके माध्यम से हमारे भाई-बहनों को चिकित्सा हेतु दूर नहीं जाना पड़ेगा।

उन्होंने सभी विद्यार्थियों एवं प्रशिक्षार्थियों को आशा के मिशनरी बनने की अच्छी तैयारी करने के साथ-साथ, एकता बनाये रखने और सहयोग की भावना बढ़ाने में योदगान देने का प्रोत्साहन दिया ताकि हमारी कलीसिया एक सिनॉडल कलीसिया का उदाहरण बन जाए।    

पवित्र मिस्सा के बाद ग्रूप फोटो लिया गया, अतिथियों और नये सदस्यों का आदिवासी परम्परा के अनुसार स्वागत किया गया। नये सदस्यों का पात्र परिचय हुआ। उसके बाद सामूहिक प्रतिभोज, सांस्कृतिक नृत्य एवं संगीत के द्वारा भाईचारा, स्नेह और शुभकामना के संदेश के साथ आभास मिलन समारोह समाप्त हुआ। 

  

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21 अक्तूबर 2025, 09:45