रेपोले: फ्रासाती और जीवन- ईश्वर से मिलने हेतु एक "जिम"
वाटकिन सिटी
वाटिकन सिटी, 08 सितम्बर 2025 (रेई) तूरिन ने कार्डिनल महाधर्माध्यक्ष रेपोल ने युवा संत पियेर जोर्जियो के बारे में कहा कि वे युवा के आदर्श हैं जिसकी ओर वे आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकते।
महाधर्माध्यक्ष ने संत फ्रासाती के जीवन की चर्चा करते हुए कहा कि 24 साल की ज़िंदगी को उन्होंने पूरी लगनता से सारे कार्यों को करते हुए जीया। वे पहाड़ चढ़े, राजनीति में सक्रिय रहे, परोपकार के कार्य किये क्योंकि उनके लिए जीवन का एकमात्र मार्ग ख्रीस्त के संदेश का पालन करना था। पियर जॉर्ज फ्रासाती की ज़िंदगी का मूलमंत्र था: “हमें बस यूं ही नहीं जीना चाहिए, बल्कि जीना चाहिए।”
कार्लो अकुतिस और फ्रासाती के संत घोषित संबंध में कार्डिनल ने कहा कि दोनों में 90 साल का अंतर है, लेकिन उन्होंने ईश्वर, कलीसिया और लोगों को, खासकर गरीबों के प्रति अपने को प्रेम से संयुक्त किया।
पियेर जोर्जियो का जन्म 6 अप्रैल 1901 को तूरिन के एक अमीर परिवार में हुआ था। उनके पिता अल्फ्रेदो “ला स्टांपा” अखबार के संस्थापक और संपादक थे, उनकी माँ एडिलेड धर्मी और कलात्मक स्वाभाव की महिला थीं। उन्होंने ही उन्हें काथलिक शिक्षा दी, जो बाद में फ्रासाती में इतालावी काथलिक युवा संघ के रुप में विकसित हुआ जिसका नारा था: प्रार्थना, कार्य और त्याग। इसके बाद उनका जीवन संकटों और मुश्किलों से भरा रहा, लेकिन वे हमेशा प्रार्थना द्वारा, पूर्ण समर्पण में ईश्वर से जुड़े रहे।
सुसमाचार का मार्ग
इस वर्ष तूरिन ने कई कार्यक्रमों के माध्यम से पियेर जॉर्जियो को याद किया। जुलाई में उनकी स्मृति में कार्यक्रम आयोजित किए गए और “कासा फ्रासाती” का उद्घाटन किया गया। यह एक तरह का मल्टीमीडिया म्यूजियम है, जिसमें युवा फ्रासाती के जीवन और प्रेरिताई के बारे में कई जानकारियां संग्रहित हैं।
तूरिन के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल रॉबर्टो रेपोले ने कहा, "पियेर जॉर्जियो फ्रासाती- एक ऐसे व्यक्तित्व हैं जिन्हें हमें जानने की ज़रूरत है। आज के युवाओं के लिए वह कोई आम या तुरंत पहचाने जाने वाले व्यक्ति नहीं हैं, लेकिन जब वे उनसे मिलते हैं, तो वे यह अनुभव करते हैं कि युवावस्था भी ख्रीस्तीय जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण समय है और सुसमाचार के मार्ग पर चलकर महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकता है।" कार्डिनल ने जोर देकर कहा कि एक बार उन्हें जानने के बाद युवा इस बात से प्रभावित होते हैं कि सुसमाचार भी उनकी ज़िंदगी को रोशन कर सकता है।”
सुसमाचार का प्रकाश
संत जॉन पॉल द्वितीय ने 20 मई 1990 को में फ्रासाती को धन्य घोषित करते हुए 'सद्गुणों का व्यक्ति' होने की बात कही थी। वे ऐसे व्यक्ति हैं जो दूसरों को प्रेम और शांति का संदेश देते हैं और यह साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं कि पवित्रता सभी के लिए संभव है। यह परिभाषा पियेर जॉर्जियो के जीवन से अच्छी तरह मेल खाती है।" महाधर्माध्यक्ष रेपोले ने कहा, “आपको ऐसा लगता है कि यह एक साधारण युवा है जिसने बाइबल को सचमुच में गंभीरता से लिया और उसे अपने जीवन की रोशनी बनाने की कोशिश की, जिसे वह हर परिस्थिति में सबको आलोकित कर सके: पढ़ाई, दुनिया की सक्रियता में, राजनीतिक में, गरीबों और जरूरतमंदों की देखभाल करते में।” यह एक ऐसी बात है जो युवाओं को अपने जीवन को, “बस यूं ही जीने” के बजाय गंभीरता से जीने को प्रेरित करती है जैसा कि फ्रासाती ने कहा।"
आशा और शांति
तूरिन के युवक की संत घोषणा, जिसकी मृत्यु 24 वर्ष की आयु में पोलियो से मृत्यु हो गई थी, आशा की जयंती के दौरान होना: एक उल्लेखनीय संयोग है जो दर्शाती है, कार्डिनल ज़ोर देकर कहा, कि यह “आशा की यात्रा शांति की यात्रा से जुड़ी हुई है।” फ्रासाती का युद्धग्रस्त समय आज के समय से बहुत मिलता-जुलता है, कार्डिनल रेपोले ने कहा कि यह हृदय परिवर्तन की आवश्यकता को प्रदर्शित करता है।
साधारण संत
तूरिन के कार्डिनल युवावस्था में पियेर जॉर्जियो को जानने की बात स्वीकार करते हैं, और उन्हें एक आकर्षक व्यक्तित्व मानते हैं। “सच कहूँ तो, उस समय मेरे बुलाहटीय चुनाव पर उनका ज़्यादा प्रभाव नहीं था क्योंकि शायद मैंने उन्हें गहराई से नहीं देखा था जिसकी वर्षों बाद मे मैंने सराहना की। उन्होंने मुझे यह एहसास दिलाने में निश्चित रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई कि एक ख्रीस्तीत होना, पूरी तरह से सार्थक है।" पियर जॉर्जियो फ्रासाती कार्डिनल के लिए “एक ऐसे ख्रीस्तीय हैं जो समझते हैं कि सुसमाचार का प्रचार इस दुनिया की चीज़ों में पूरी होती है- अध्ययन में, दूसरों से मिलन में, काम में, राजनीतिक भागीदारी में।” एक साधारण व्यक्ति जिन्होंने “मसीह का अनुसरण करने और इसकी पवित्रता हेतु जीवन को एक प्रशिक्षण भूमि के रुप में देखा।”
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