एलिस्टेयर डट्टन: संत पापा की सबसे बड़ी विरासत ‘सबसे गरीब लोगों के प्रति उनकी प्रामाणिकता और प्रेम’ थी
वाटिकन न्यूज़
रोम, गुरुवार 24 अप्रैल 2025 : संत पापा फ्राँसिस की मृत्यु की खबर सुनकर दुनिया भर के लोगों, संगठनों और समुदायों से शोक संदेश और व्यक्तिगत कहानियों की भारी प्रतिक्रिया आई। अंतरराष्ट्रीय कारितास के महासचिव श्री एलिस्टेयर डट्टन ने भी दिवंगत संत पापा के साथ मुलाकातों की अपनी व्यक्तिगत यादों को व्यक्त करते हुए इन अन्य आवाज़ों में शामिल हुए। उन्हें याद है कि संत पापा फ्राँसिस के पास "एक अद्भुत हास्य बोध था, लेकिन वे आपको छूट नहीं देते थे।" डट्टन बताते हैं कि अपनी अलग-अलग बैठकों में, दिवंगत संत पापा के पास "एक बहुत ही वास्तविक और ज़रूरी विश्वास था जो वास्तव में सुसमाचार संदेश की तात्कालिकता को समझते थे।" और महासचिव कहते हैं कि यह विशेषता हमेशा उनके साथ रहेगी।
प्रामाणिकता की विरासत
जब कलीसिया और विशेष रूप से कारितास पर संत पापा फ्राँसिस की विरासत के बारे में सोचते हैं, तो श्री डट्टन कहते हैं कि कलीसिया के लिए संत पापा का दृष्टिकोण स्पष्ट था: "एक साधारण कलीसिया, गरीबों के लिए एक गरीब कीसिया।" अपने 12 साल के परमाध्यक्षीय कार्यकाल के दौरान, दिवंगत संत पापा ने गरीबों और सबसे हाशिए पर पड़े लोगों पर जोर दिया और उन्होंने कारितास को "गरीबों की कलीसिया की कोमलता" के रूप में वर्णित किया।
संत पापा फ्राँसिस के पास विशेष "उन लोगों के लिए करुणा और प्रेम था जो पीड़ित हैं और समाज के हाशिये पर हैं।" लेकिन, डट्टन इस बात पर जोर देते हैं कि यह अमूर्त अर्थ में नहीं था। दिवंगत संत पापा सामाजिक, पर्यावरणीय और पारिस्थितिक न्याय के एक प्रमुख समर्थक थे क्योंकि उन्होंने उन्हें दो अलग-अलग संकटों के रूप में नहीं बल्कि एक के रूप में देखा था।
अंतरराष्ट्रीय कारितास के महासचिव संत पापा फ्राँसिस की सबसे बड़ी विरासत को "उनकी प्रामाणिकता और सबसे गरीब एवं हाशिए पर पड़े लोगों के लिए उनकी गहन देखभाल और प्रेम" के रूप में वर्णित करते हैं।
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