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भारतीय धर्माध्यक्षों से पोप : “गरीबों और दुर्बलों के स्वागत में कलीसिया का द्वार चौड़ा करें”

पोप फ्राँसिस ने भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षों का आह्वान किया है कि वे अपनी प्रेरिताई में गरीबों और कमजोर लोगों को प्राथमिकता दें और कलीसिया के द्वार खोलें। यह बात संत पापा ने भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (सीसीबीआई) की 36वीं महासभा को संबोधित करते हुए कही है। जो कटक-भुवनेश्वर महाधर्मप्रांत में एक्सआईएम विश्वविद्यालय में आयोजित की गई है।

डॉ. स्तेफन अलाथारा

कटक-भुवनेश्वर, मंगलवार, 28 जनवरी 2025 (सीसीबीआई) : सीसीबीआई के उपाध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष जॉर्ज एंटोनीसामी ने पोप फ्राँसिस के संदेश को प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने धर्माध्यक्षों के विचार-विमर्श के लिए अपना प्रार्थनापूर्ण समर्थन व्यक्त किया है। पोप ने उन्हें धर्मसभा की यात्रा के परिणामों को लागू करने में स्थानीय कलीसियाओं का मार्गदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित किया है।

संत पापा ने कहा, "मैं प्रार्थना करता हूँ कि आपके विचार-विमर्श से स्थानीय कलीसियाओं को यह समझने में सहायता मिलेगी कि धर्मसभा के मार्ग के लाभों को सर्वोत्तम तरीके से कैसे क्रियान्वित किया जाए तथा मिशनरी शिष्य बनने के लिए अधिकाधिक विश्वासियों को कैसे प्रेरित किया जाए।"

जयंती वर्ष का जिक्र करते हुए पोप ने भारत में कलीसिया पर भरोसा जताया और उम्मीद की किरण के रूप में इसकी भूमिका पर जोर दिया है। उन्होंने कहा, "मुझे भरोसा है कि इस जयंती वर्ष में भारत में कलीसिया पूरे देश के लिए उम्मीद की किरण बना रहेगा और हमेशा गरीबों और सबसे कमजोर लोगों का स्वागत करने के लिए अपने दरवाजे खोलने की कोशिश करेगा, ताकि सभी को बेहतर भविष्य की उम्मीद हो।"

इस सभा का उद्घाटन भारत और नेपाल के प्रेरितिक राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोल्दो जिरेली ने किया, जिन्होंने 28 जनवरी को कार्यक्रम की शुरुआत के लिए पवित्र यूखरिस्त समारोह की अध्यक्षता की। महाधर्माध्यक्ष जॉन बरवा, एस.वी.डी. ने ओडिशा में धर्माध्यक्षों और गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और इसे जीवंत आदिवासी संस्कृतियों की भूमि बताया।

अपने अध्यक्षीय भाषण में, सीसीबीआई और फेडरेशन ऑफ एशियन बिशप्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष कार्डिनल फिलिप नेरी फेराओ ने भारत में ख्रीस्तीय जीवन और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए बढ़ती चुनौतियों पर प्रकाश डाला।

कार्डिनल फेराओ ने कहा, "भारत ख्रीस्तीय जीवन और धार्मिक स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहा है।" उन्होंने 18 राज्यों में धर्मांतरण विरोधी कानूनों के अधिनियमन और ख्रीस्तीयों के खिलाफ हिंसा की बढ़ती घटनाओं की ओर ध्यान आकृष्ट किया तथा कलीसिया की गरिमा और स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए एकजुटता, प्रार्थना और ठोस कार्रवाई का आह्वान किया। उन्होंने पुष्टि की कि "विपरीत परिस्थितियों के बावजूद, भारत में कलीसिया जीवंत और दृढ़ बना हुई है।"

सीसीबीआई के महासचिव महाधर्माध्यक्षअनिल कुटो ने वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जबकि एक्सआईएम विश्वविद्यालय के कुलपति माननीय डॉ. एंटनी उवारी, एस.जे. ने बधाई संदेश दिया। सीसीबीआई के उप महासचिव माननीय डॉ. स्टीफन अलाथारा ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।

सभा ने नवनियुक्त धर्माध्यक्षों का भी स्वागत किया और सम्मेलन के दिवंगत सदस्यों के लिए प्रार्थनापूर्ण मौन का क्षण रखा।

“मिशन के लिए धर्मसभा के मार्ग को समझना” विषयवस्तु के साथ, इस सभा में भारत में लातीनी कलीसिया के 204 धर्माध्यक्षों को कलीसिया के मिशन पर चिंतन करने के लिए आमंत्रित किया गया है। कार्यक्रम के पहले तीन दिन आध्यात्मिक वार्तालापों के लिए समर्पित हैं, जो कार्यकारी दस्तावेज में उल्लिखित दस प्राथमिकताओं पर चिंतन के लिए एक आध्यात्मिक साधना जैसा माहौल प्रदान करेगा।

धर्माध्यक्ष 16 आयोगों, छह विभागों, चार प्रेरितिक कार्यों और 14 क्षेत्रीय धर्माध्यक्षीय परिषदों की द्विवार्षिक रिपोर्टों की भी समीक्षा करेंगे, जो सीसीबीआई के काम का व्यापक अवलोकन प्रदान करेंगे। सभा धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के लिए नए पदाधिकारियों का भी चुनाव करेगी।

सीसीबाई एशिया में सबसे बड़ा धर्माध्यक्षीय सम्मेलन और विश्व स्तर पर चौथा सबसे बड़ा संगठन है, जिसमें 132 धर्मप्रांत और 209 धर्माध्यक्ष हैं।

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28 जनवरी 2025, 16:11